वागर्थ में आज अनिल जनविजय जी का एक नवगीत और कविता पोस्टर
समूह वागर्थ में आज प्रस्तुत है कवि अनिल जनविजय जी का एक नवगीत
अनिल जनविजय जी पहचान वैश्विक स्तर पर साहित्यकार के रूप में हैं इस बात की पुष्टि उनके परिचय से भी होती है यद्धपि हम यहाँ उनके कुछ और नवगीत जोड़ना चाहते थे परन्तु उनसे हुए संवाद के उपरान्त जो तथ्य सामने आया वह यह है कि अनिल जी ने अधिक नवगीत लिखे ही नही हैं मुझे जहाँ तक याद है मैंने बहुत पहले उनकी एक रचना जिसका कविता पोस्टर कुँवर रविन्द्र जी ने बनाया था,उनकी वह रचना पूरी तरह नवगीत के निकट की रचना थी यदि मुझे वह रचना कुँवर के सहयोग से मिलती है तो आपके मध्य यहाँ जरूर जोड़ने का प्रयास करूँगा।अनिल जनविजय जी की रुचियों की पड़ताल करने पर यह बात निर्विवाद रूप से सामने आती है जनविजय जी कविता के बिना किसी पूर्वाग्रह के सच्चे पारखी हैं और मुझे पूरे साहित्यिक परिद्रष्ट में ऐसे लोग उँगलियों पर गिनने वाले ही मिले जिनके यहाँ नई कविता या नवगीत में काव्य विषयक कोई दुराग्रह नहीं है।
नवगीत के उद्भव से लेकर आज और अब तक के विकास पर आपके जहन में जितने प्रश्न हों आप अनिल जनविजय जी के सामने प्रस्तुत करके देख लें उनका पूरा और सम्यक समाधान उनके यहाँ मिल जाएगा।
अपने स्वयं के विषय में वह इरादतन मुझे यहाँ कुछ भी लिखने नहीं देंगे इसलिए दो एक बातें कहकर मैं सीधे आपको प्रस्तुत नवगीत से जोड़ता हूँ।
सम्भवतः यह रचना 1972 के आस पास की है बेटियों के उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना का कितना सुंदर गान है इन पंक्तियों में
जीवन के
अरुण दिवस सुनहरे
नहीं आज तुम पर
कोई पहरे
बहुत सुंदर नवगीत के लिए हार्दिक बधाइयाँ
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बेटियों का गीत
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मैं मौन रहूँ
तुम गाओ
जैसे फूले अमलतास
तुम वैसे ही
खिल जाओ
जीवन के
अरुण दिवस सुनहरे
नहीं आज
तुम पर कोई पहरे
जैसे दहके अमलतास
तुम वैसे
जगमगाओ
कुहके जग-भर में
तू कल्याणी
मकरंद बने
तेरी युववाणी
जैसे मधुपूरित अमलतास
तुम सुरभि
बन छाओ
परिचय
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अनिल जनविजय (२८ जुलाई १९५७[1]), हिन्दी कवि[2]-लेखक[3] और रूसी और अंग्रेज़ी भाषाओं से हिन्दी में दुनिया भर के साहित्य का अनुवादक[4] हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.कॉम और मॉस्को स्थित गोर्की साहित्य संस्थान से सृजनात्मक साहित्य विषय में एम० ए० किया। इन दिनों मॉस्को विश्वविद्यालय में हिंदी साहित्य का अध्यापन और रेडियो रूस का हिन्दी डेस्क देख रहे हैं।
अनिल जनविजय
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जन्म
अनिल कुमार जैन
28 जुलाई 1957
भूड़, बरेली
व्यवसाय
कवि, लेखक और अनुवादक
राष्ट्रीयता
भारतीय
विधा
कविता, कहानी
विषय
साहित्य
उल्लेखनीय कार्य
कविता नहीं है यह,माँ, बापू कब आएँगे,राम जी भला करें,दिन है भीषण गर्मी का,तेरे क़दमों का संगीत, चमकदार आसमानी आभा,धूप खिली थी और रिमझिम वर्षा
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