पाँच-दोहे
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1
दुनिया के इतिहास से,जालिम कुछ तो सीख।
कब तक धरती पुत्र की, दबा रखेगा चीख।।
2
जिनकी दम पर बन गया, तू शाहों का शाह।
जालिम क्यों सुनता नहीं,उनकी करुण कराह।।
3
आग लगा कर जिन्दगी , खेल रही है खेल।
आसमान तक जा चढ़ी, महँगाई की बेल।।
4
भक्त बता किस देव ने, तुझे बताया खास।
फिर क्यों तू भगवान से, बाँधे रहता आस ।।
5
प्रश्न दाग तू सैकड़ों ,जिंदा रख प्रतिरोध।
प्रश्नों से ही एक दिन, तय है होना बोध।।
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