सोमवार, 22 मार्च 2021

पाँच समसामयिक दोहे होशंगावाद का एक छाया चित्र अवसर गिरिमोहन गुरु जी एवं मित्रगण

पाँच-दोहे
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1

दुनिया के इतिहास से,जालिम कुछ तो सीख।
कब  तक  धरती पुत्र की, दबा रखेगा चीख।।

2

जिनकी दम  पर  बन  गया, तू  शाहों का शाह।
जालिम क्यों सुनता नहीं,उनकी करुण कराह।।

3

आग  लगा कर  जिन्दगी , खेल  रही  है  खेल।
आसमान   तक जा  चढ़ी, महँगाई  की  बेल।।

4

भक्त   बता   किस   देव ने, तुझे बताया खास।
फिर  क्यों तू भगवान  से, बाँधे रहता  आस ।।

5
प्रश्न    दाग  तू सैकड़ों  ,जिंदा   रख  प्रतिरोध।
प्रश्नों  से  ही  एक  दिन, तय है   होना  बोध।।

मनोज जैन

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