# साक्षात्कार - एक प्रश्नावली
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आइने के सामने
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कृपया अपने साक्षात्कार के संदर्भ में आप हर प्रश्न के नीचे संबंधित उत्तर लिखकर वापस कीजिएगा।
धन्यवाद।
चेतन दुबे 'अनिल' जी के प्रश्न और मेरे उत्तर
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प्रस्तुति
वागर्थ
1- अपने जन्म , शिक्षा और व्यवसाय पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए ?
उ.मेरा जन्म शिवपुरी जनपद की छोटी सी तहसील के एक छोटे से गाँव बामौर कला में हुआ। हाई स्कूल तक की आरम्भिक शिक्षा के बाद आगे की पढ़ाई जारी रखने के उद्देश्य से भोपाल चला आया यहीं से अँगेजी साहित्य में स्नातकोत्तर व डिप्लोमा इन एजुकेशन करने के बाद एक निजी संस्थान में छह वर्षों तक सीनियर सेकेंडरी क्लासेस के बच्चों को अँग्रेजी और हिन्दी पढ़ाता रहा फिर एक दवा कम्पनी में तब से लेकर दिनांक आज तक अपनी सेवाएं दे रहा हूँ।
2- आपने काव्य लेखन कब से आरम्भ किया ?
उ.लगभग 11 वर्ष की उम्र में अचानक एक दिन कवितानुमा कुछ शब्द और पंक्तियाँ प्रस्फुटित हुईं उस समय मैं अपनी शॉप पर बैठा था और मेरे साथ पढ़ने वाली एक पड़ोस की लड़की को मैंने वह रचना सुनाई थी। वह कविता थी या नही यह तो नहीं पता, पर तभी से यह गुनगुनाहट की यात्रा लगातार जारी है।
3- आपको लेखन की प्रेरणा कब और कहाँ से मिली ?
उ बाल्यकाल से ही मन काव्य के प्रति लालयित रहा है। मुझे याद आता है जब मैं तीसरी दर्जा का विद्यार्थी था। तब भी पाठ्यक्रम में हिन्दी की बालभारती नामक पुस्तक की सबसे पहले कविताएँ ही पढ़ता था ।
काव्य की पहली प्रेरणा मुझे सम्भवतः पिता जी से ही मिली वह प्रातः की मंगलबेला में नित्य उठकर सस्वर धार्मिक भक्तिनुमा छँदसिक रचनाओं का पाठ किया करते थे जिसका मेरे अवचेतन पर सीधा प्रभाव पड़ा और मैं भी गुनगुनाने लगा।
4- आपका कोई काव्य - गुरु? नाम बताएँ? उनसे क्या सीखा ?
नहीं, यह सौभाग्य मेरे हिस्से में नहीं आ सका
पर इस यात्रा में बहुत से सहयात्री मिले सबसे कुछ न कुछ ग्रहण कर ही लेता हूँ।
आज भी स्वयं को साहित्य का विद्यार्थी मानता हूँ और विद्यार्थी ही हूँ।
5- किन - किन काव्य - विधाओं में सृजन किया ?
किस विधा में कितना लिख चुके हैं ?
उ. सिर्फ छान्दसिक कविताएँ लिखी
गीत, नवगीत ,दोहा ,कुछ मुक्तक, बाल कविताएँ, और एक पुष्पक गिरि नामक खण्डकाव्य कुछ लघु कथाएं भी लेकिन इनकी मात्रा न के बराबर परन्तु जितनी भी लिखीं वह सब संकलित और प्रकाशित हैं ।
6- पहली रचना कहाँ छपी ? किन - किन उच्चस्तरीय पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हैं?
उ.मेरी पहली रचना वाणी भूषण पण्डित विमल कुमार सौरया जी के सम्पादन में प्रकाशित होने वाली पत्रिका 'वीतराग - वाणी ' में छपी जो जिला टीकमगढ़ से निकलती थी,अब भी निकलती है ,पर अब इस पत्रिका की अवधि अनियतकालीन है।
इसके साथ मेरी कविताएँ जागरण, दैनिक -भास्कर के मधुरिमा परिशिष्ट समेत देश की लगभग सभी स्तरीय छन्दधर्मी पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर छपी हैं।
7- अपनी रचनाओं से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैंं और क्यों ?
उ 'नेकी कर दरिया में डाल' वाली सूक्ति को आपके सन्देश वाले प्रश्न पर दुहराना चाहूँगा। हम सब काव्य के संस्कार इसी समाज से ग्रहण करते हैं,और हमें चाहिए कि हम दीप से दीप जलाते हुए इस समाज से जो हमनें ग्रहण किया है,इसी समाज को लौटा दें।
कहा भी है तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा की तर्ज पर!
(आदरणीय चेतन चाचा जी आप भी तो यही काम करते आ रहे हैं। मेरे देखते- देखते कितने काव्य- दीप आपने अपनी काव्य ज्योति से प्रज्ज्वलित किए हैं।)
8- कितने साझा संकलनों में छपे हैं ? कुछ के नाम बताएँ?
नवगीत पर केंद्रित जितने भी साझा संकलन 2007 के बाद अब तक आए उनमें से दो-एक को छोड़ दें तो, लगभग सभी में मेरी सहभागिता है।
यदि कुछ के नाम लेना जरूरी हैं तो
1.शब्दायन : संपादक श्री निर्मल शुक्ल
2.गीत वसुधा : सम्पादक श्री नचिकेता
3.सहयात्री समय के : सम्पादक श्री रणजीत पटेल
4.धार पर हम भाग दो : सम्पादक श्री वीरेन्द्र आस्तिक
5. सप्तराग सम्पादक : श्री शिवकुमार अर्चन
6.गीत सिंदूरी गंध कपूरी : सम्पादक श्री योगेन्द्रदत्त शर्मा जी
सहित अनेक संकलनों में मेरी नवगीत विषयक रचनाएँ संकलित हैं।
9- कोई कृति प्रकाशित हुई ? या होने वाली है?
उसमें क्या है?
जी ,आदरणीय मेरी अब तक दस वर्ष के अन्तराल से दो कृतियाँ प्रकाशित हैं।
पहली
1" एक बूँद हम " नवगीत संग्रह 2011
दूसरी
2" धूप भरकर मुठ्ठियों " नवगीत संग्रह 2021
10- भविष्य में और क्या लिखना चाहते हैं?
उ
फिलहाल तो लिखने से मन ऊब गया लिखने की अपेक्षा इन दिनों मेरा ध्यान अच्छे लेखकों को पढ़ने पर ज्यादा केन्द्रित है ।
फिर भी
●एक पुस्तक दोहा सँग्रह की
●दूसरी पुस्तक सौ नवगीतकारों पर अपनी टिप्पड़ियों की ●तीसरी पुस्तक समकालीन दोहाकारों के चुनिन्दा दोहे और उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर मेरी दृष्टि
●चौथी वागर्थ के माध्यम से किए गए काम को कुल पाँच खण्डों में प्रकाशित करने की योजना है।
यह काम लगभग तैयार है और वागर्थ के चर्चित ब्लॉग में
सुरक्षित भी है।
इन दिनों लगभग 600 समकालीन दोहे मेरे पास हैं पर फेसबुक पर बिखरे पड़े हैं तैयारी में जुटता हूँ।
11- नई पीढ़ी से क्या कहना चाहेंगे ?
उ. अपने आत्मीय वरिष्ठों, गुरुजनों और माता-पिता के प्रति सदैव कृतज्ञता का भाव ज्ञापित करते रहें क्योंकि आज आप जो कुछ भी हैं।कहीं न कहीं आपकी सफलता के पीछे इन लोगों का थोड़ा - बहुत योगदान तो होता ही है।आप यदि शिखर के कँगूरे हैं,तो यह लोग आपकी नींव हैं और जड़ें भी जो आपको सदैव थामे रहने के लिए तत्पर रहते हैं। वैसे भी वरिष्ठ आपसे श्रेय नहीं चाहते, वह तो श्रेय आपको ही देंगे; बस प्यार के और नेह के दो मीठे बोल की अपेक्षा तो हम लोगों से उनकी हरदम बनी ही रहेगी।
कृतज्ञ रहें ,विनम्र रहें, और सदैव कृतज्ञता ज्ञापित करते रहें लेकिन यह सब सम्यक अनुपात में होना चाहिए।
12- अब तक की बड़ी उपलब्धि किसे मानते हैं? कोई बड़ा पुरस्कार?
साहित्यिक अभिरुचि के अनेक मित्रों से जुड़ना उन्हें जानना, समझना है अपने आप में किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। मूलतः साहित्य- रसज्ञ होने के कारण मेरे हिस्से में जुड़ी।
पुरस्कार अनेक पर मैं इन्हें उपलब्धि नहीं मानता और उल्लेख भी नहीं करना चाहता, यह तो आपकी प्रतिभा का प्रोत्साहन भर होते हैं। साथ ही उन तमाम संस्थाओं का दिल आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने मुझे इस योग्य समझा। हाँ पहली कृति एक बूँद हम पर लगभग 145 स्तरीय समीक्षाएँ मुझे किसी बड़ी उपलब्धि या बड़े सम्मान से कम नहीं
13- अब तक कोई बड़ा सम्मान मिला ? ( फेसबुकी प्रमाण पत्र न जोड़ें )
लखनऊ की संस्था राष्ट्रधर्म ने 2013 में मेरी पहली कृति 'एक बूँद हम' को राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रधर्म नवगीत गौरव सम्मान के लिए चुना था जिसकी सम्मान राशि पाँच अंकों में थी।
14- क्या कविसम्मेलन के मंचों पर काव्य - पाठ भी करते हैं ? कितने किए?
आठ -दस बड़े कवि सम्मेलनों में पाठ का अवसर मिला
परन्तु अपने आपको कवि सम्मेलनी प्रस्तुति के अनुकूल कभी ढाल ही नही पाता !
14- आपने किसी आकाशवाणी/ दूरदर्शन केन्द्र से भी काव्य - पाठ किया है? कब? कहाँ?
जी, भोपाल आकाशवाणी और दूरदर्शन पर मैंने 2006 से लेकर अब तक लगभग 24 से भी अधिक प्रस्तुतियाँ दी हैं। इसके साथ ही मैंने एक कार्यक्रम अपने ग्रह जिले आकाशवाणी के शिवपुरी केन्द्र से भी दिया है।
आकाशवाणी और दूरदर्शन पर समान रूप से खड़ी बोली और लोकभाषा बुंदेली में मेरे पाठों की रिकार्डिंग होती रहती हैं।
15-- आपने किसी कृति या पत्रिका का सम्पादन भी किया है ? कौन सी?
जी , मैं करीब दस वर्षों तक राजधानी की एक मानक साहित्यिक संस्था 'कला मन्दिर' (अब यह राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय है) का सचिव रहा हूँ , संस्था की वार्षिक पत्रिका 'कला-वीथिका' का सम्पादन किया है।
हाल ही में वागर्थ ब्लॉग और फेसबुक समूह वागर्थ का संचालन किसी e magazine ई पत्रिका की तर्ज़ पर ही करते आ रहे हैं।
16- हिन्दी - साहित्य में आपकी सर्वाधिक प्रिय पुस्तक कौन सी है?
पहली और पसंदीदा पुस्तक तो
हरिशंकर परसाई के 'प्रतिनिधि व्यंग्य' ही है।
इसके साथ दूसरे ऑप्शन में (जिसे आपने कहने का अवसर ही नहीं दिया पर मैं अपनी तरफ से जोड़ता हूँ।)
'गोदान' मुंशीप्रेमचन्द
'भागो नहीं दुनिया बदलो' राहुल सांकृत्यायन
इसके साथ ही मुझे कांतिकुमार जैन जी के संस्मरण बेहद प्रिय हैं।
17- फेसबुकी काव्य - सर्जना के संदर्भ में आपका मत क्या ?
मेरे मतानुसार फेसबुकी काव्य सर्जना रचनाकर्म में आंशिक मददगार भर हो सकती है अन्तर के काव्यसंस्कार के बिना यह माध्यम भी ज्यादा कारगर नहीं हो सकता पर एक बात तो निर्विवाद रूप से सत्य है, वह यह कि फेसबुक रचनाकार को विज्ञापित करने में बहुत मदद करती है। यह आप पर है कि आप लेखक का आकलन उसकी प्रतिभा से करते हैं या विज्ञापन के प्रभाव से
चेतन जी आपका बहुत आभार
इस बहाने बहुत से संस्मरण स्मृतिपटल पर उभरे
धन्यवाद
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मनोज जैन
106
विट्ठलनगर गुफामन्दिर रोड
लालघाटी
भोपाल
462030
मोबाइल नम्बर 9301337806