बुधवार, 23 जुलाई 2025

एक जिंदगी क्या कह रही है- मनोज जैन

#गीत

#ज़िंदगी_क्या_कह_रही_है 

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खूबसूरत ज़िंदगी के पल तुम्हारे पास हैं,
फिर भला क्यों तुम उदासी 
ओढ़ कर बैठे हुए हो।
 
तनिक देखो घाट के भुजपाश में,
लिपटी नदी को,
खिलखिलाकर हँस रही है जोर से।

झाँककर देखो जरा भिनसार का,
यह रूप मनहर,
बहुत प्यारा लग रहा हर ओर से।

सृष्टि की खुशियाँ तुम्हारे पास हैं,
ज़िंदगी से फिर भला
मुख मोड़ क्यों बैठे हुए हो।

उड़ चला पाखी गगन में,
धूप से कर चार बातें।
हवा मद्धिम और ठंडी वह रही है।

चूसती मकरंद तितली,
भृंग मँडराया कली पर,
सुन जरा लो, जिंदगी क्या कह रही है?

सामने सत्यं शिवम है सुंदरम है,
और तुम नाता इसी से,
तोड़कर बैठे हुए हो।

मनोज जैन 
23/7/25