गीत लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
गीत लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 24 मई 2024

डॉ.रामवल्लभ आचार्य जी का एक गीत प्रस्तुति: ब्लॉग वागर्थ


ओ मछुआरे !
___________

ओ मछुआरे ! साँझ सकारे
मीन फँसाये जाल में ।
सोच ज़रा तू तुझे फँसाया
किसने इस जगजाल में ।। 

सोच ज़रा तू कौन बुन रहा
साँसों का ताना बाना ।
किस कारण होता है प्राणी
का जग में आना जाना ।
किसने देह बनाकर जोड़ा
तुझे नाभि की नाल से ।।
सोच ज़रा तू तुझे फँसाया
किसने इस जग जाल में ।। 

सोच ज़रा तू किन कर्मों का
फल भव में भटकाता है ।
किन कर्मों के फल के कारण 
जीव मुक्त हो जाता है ।
लिखता कौन अहर्निश अविरत
भाग्य मनुज के भाल में ।।
सोच ज़रा तू तुझे फँसाया
किसने इस जग जाल में ।। 

सोच ज़रा तू किसने तुझको
दिया सुनहरा यह मौका ।
भवसागर तरने को दी है
पंचतत्व की यह नौका । 
भूल गया तू तुझे तराना
है नैया हर हाल में ।।
सोच ज़रा तू  तुझे फँसाया
किसने इस जग जाल में ।।

© डाॅ. राम वल्लभ आचार्य

मंगलवार, 1 नवंबर 2022

कविवर महेश कटारे सुगम जी का एक गीत प्रस्तुति ब्लॉग वागर्थ

चर्चित कवि महेश कटारे सुगम जी का एक लोकप्रिय गीत
प्रस्तुति
वागर्थ ब्लॉग

बेशक घोषित करो छंद को मरा हुआ 
पर कविता के प्राण छंद में बसते हैं।

एक सदी होने को आई है लेकिन ,
गद्य काव्य को खड़ा नहीं कर पाये हो 
खूब पिलाये पोषक तत्व बहुत से पर 
उसके कद को बड़ा नहीं कर पाये हो 
माना साज़िश हुई छंद के साथ मगर 
लोक अभी तक लय छंदों में हँसते हैं। 

इतने वर्षों बाद बता तो दो मुझको
गद्य काव्य की पैठ दिलों में कितनी है।
गद्य काव्य से पाट दिया बाज़ारों को,
लेकिन वह अब भी ठिगनी की ठिगनी है।
गद्य काव्य कितने लोगों को याद हुआ 
गद्य काव्य को कितना लोक समझते हैं।

खूब शाब्दिक अय्याशी कर डाली पर,
संस्कार छंदों के नहीं मिटा पाये।
लोक आज भी हँसता गाता छंदों में 
गद्य काव्य से रिश्ते नहीं बना पाये।
लोक नहीं स्वीकारे जब तक बोलो 
दिल के शिखर कलश कैसे बन सकते हैं। 

लय छंदों से मुक्ति चाहने वालों को,
कवि कहने की चाहत को तजना होगा।
गद्य लिखो पूरी स्वतंत्रता है उसमें,
कवि को लय अनुशासन में चलना होगा।       
कविता कर्म मज़ाक नहीं न सुविधामय,
शब्द अर्थ की तेज़ धार पर चलते हैं। ..

गद्य काव्य भी गेय हुआ करता था पर,
अब तो लय भी गद्य काव्य से बाहर है।
 शुद्ध गद्य को कविता जो भी बता रहे,
साफ साफ उनका मंतव्य उजागर है।
यश लोलुपता काव्य कर्म को लील रही,
यश के सारे सूत्र इस तरह सस्ते हैं। 

महेश कटारे सुगम

कवि 
परिचय

नाम-महेश कटारे "सुगम"
जन्म.. 24 जनवरी 1954 में ललितपुर जिले के पिपरई गाँव में.

प्रतिष्ठित हिंदी पत्र पत्रिकाओं हंस, नया ज्ञानोदय, इंडिया टुडे,
इन साइड इंडिया,साक्षात्कार, प्रयोजन,कला समय, कथादेश,  वीणा,अविलोम,इंगित,निकट, अभिव्यक्ति,संविदा, साहित्य भारती, म. प्र.विवरणिका, 
वर्तमान साहित्य,हरिगंधा, लहक,साहित्य सरस्वती, स्पंदन, नान्दी, अक्षर शिल्पी, राग भोपाली, शब्द शिखर, बुंदेलखंड कनैक्ट,अविलोम, शब्द संगत, व्यंग्य यात्रा, 
सरिता,  इंद्रप्रस्थ भारती, अर्बाबे कलाम, अनामा, शुचि प्रिया, सुख़नवर, सरस्वती सुमन, संबोधन, समकाल, इलैक्ट्रॉनिकी, भू भारती,
कहानियाँ मासिक चयन, कथाबिंब,सुमन सौरभ, पराग,लोटपोट,बाल भारती, 
अच्छे भैया,देवपुत्र, चकमक आदि में रचनाएँ प्रकाशित.

प्रकाशन..... 

उपन्यास
रोटी पुत्र

कहानी संग्रह
1.....प्यास.
2......फसल

कविता संग्रह
पसीने का दस्तख़त.

 नवगीत संग्रह
तुम कुछ ऐसा कहो.

बाल गीत संग्रह
हरदम हंसता गाता नीम.

लंबी कविता
1....वैदेही विषाद.
2.......प्रश्न व्यूह.

ग़ज़ल संग्रह
आवाज़ का चेहरा, दुआएँ दो दरख़्तों को, सारी खींचतान में फ़रेब ही फ़रेब है, आशाओं के नये महल, शुक्रिया, अयोध्या हय हय, ख़्वाब मेरे भटकते रहे, कुछ तो है, ऐसी तैसी, ला हौल बला कुब्बत,प्रतिरोधों के पर्व.


बुंदेली गजल संग्रह
गाँव के गेंवड़े, बात कैसे दो टूक  कका जू, अब जीवे कौ एकई चारौ, कछू तौ गड़बड़ है, सुन रये हौ.

ग़ज़ल गलियारा सीरीज़ के पांच ग़ज़ल संकलन संपादित

संपादन
महेश कटारे "सुगम "का रचना संसार.(डाॅ.संध्या टिकेकर) . 

महेश कटारे " सुगम " की श्रंगारिक ग़ज़लें ( प्रवीन जैन) . 

सम्मान..... हिंदी अकादमी दिल्ली  सहभाषा सम्मान,जनकवि मुकुट बिहारी सरोज सम्मान ग्वालियर (म.प्र.),स्पेनिन सम्मान रांची ( झारखंड),जनकवि नागार्जुन सम्मान गया ( बिहार) , लोकभाषा सम्मान दुष्यंत संग्रहालय भोपाल ( म. प्र.)  गुंजन साहित्य सदन जबलपुर म.प्र. द्वारा लोक साहित्य अलंकरण सहित अनेक महत्वपूर्ण संस्थाओं द्वारा सम्मानित.

पुरस्कार
कमलेश्वर स्मृति कथा पुरस्कार (कथा बिंब) मुंबई
रामनारायण शास्त्री (स्वदेश) कथा पुरस्कार म. प्र.

उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में सम्मिलित.

कुछ विश्वविद्यालयों से शोध

पता-काव्या चंद्रशेखर वार्ड, माथुर कालोनी बीना, जिला सागर, म. प्र. पिन 470113

मोबाइल नम्बर-9713024380

मेल आईडी- prabhatmybrother@gmail.com

गुरुवार, 20 अक्टूबर 2022

एक गीत नेमा माहुले



 नेमा माहुले का एक गीत 
____________________

योग्यता को मिले यश जरूरी नहीं,
श्रेष्ठ हो कर अचर्चित कई लोग हैं ।

कर्मपथ पर बढ़े अनवरत जो चरण,
ख्याति से माँगते वो नहीं है शरण ।
कीर्ति का नाद चाहे निनादित न हो,
नाम अधरों सजे या प्रसादित न हो ।
अर्चना से परे वंचना से परे,
मौन रहकर समर्पित कई लोग हैं ।
श्रेष्ठ हो कर अचर्चित कई लोग हैं ।

शुद्धतम काव्य को रच रहे छंद में,
हैं कला के पुजारी स्व-अनुबंध में ।
लक्ष्य साधे सतत साधनालीन हैं,
बुद्धिदा के तनय ज्ञान तल्लीन हैं
सर्जना बस रही श्वास-दर-श्वास में,
सर्जना में समाहित कई लोग हैं ।
श्रेष्ठ हो कर अचर्चित कई लोग हैं ।

मोहते ही नहीं लब्धि के श्री शिखर,
पद प्रतिष्ठा न मोहित करे लेश भर ।
कामनाएँ न किंचित कि जयकार हो,
निज प्रभा का जगत में सुविस्तार हो ।
चाहना को चरण में सजाए हुए,
तृप्ति से पूर्ण परिचित कई लोग हैं ।
श्रेष्ठ हो कर अचर्चित कई लोग हैं ।

                 तृप्ति