नेमा माहुले का एक गीत
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योग्यता को मिले यश जरूरी नहीं,
श्रेष्ठ हो कर अचर्चित कई लोग हैं ।
कर्मपथ पर बढ़े अनवरत जो चरण,
ख्याति से माँगते वो नहीं है शरण ।
कीर्ति का नाद चाहे निनादित न हो,
नाम अधरों सजे या प्रसादित न हो ।
अर्चना से परे वंचना से परे,
मौन रहकर समर्पित कई लोग हैं ।
श्रेष्ठ हो कर अचर्चित कई लोग हैं ।
शुद्धतम काव्य को रच रहे छंद में,
हैं कला के पुजारी स्व-अनुबंध में ।
लक्ष्य साधे सतत साधनालीन हैं,
बुद्धिदा के तनय ज्ञान तल्लीन हैं
सर्जना बस रही श्वास-दर-श्वास में,
सर्जना में समाहित कई लोग हैं ।
श्रेष्ठ हो कर अचर्चित कई लोग हैं ।
मोहते ही नहीं लब्धि के श्री शिखर,
पद प्रतिष्ठा न मोहित करे लेश भर ।
कामनाएँ न किंचित कि जयकार हो,
निज प्रभा का जगत में सुविस्तार हो ।
चाहना को चरण में सजाए हुए,
तृप्ति से पूर्ण परिचित कई लोग हैं ।
श्रेष्ठ हो कर अचर्चित कई लोग हैं ।
तृप्ति
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२४-१० -२०२२ ) को 'दीपावली-पंच पर्वों की शुभकामनाएँ'(चर्चा अंक-४५९०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
वाह वाह,सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंयथार्थ दर्शन करवाती गहन रचना।
जवाब देंहटाएंसुंदर।