~ ।।वागर्थ।। ~ नवगीत पर एकाग्र चर्चित और मानक ब्लॉग
टिप्पणी
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
टिप्पणी
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
सोमवार, 23 जनवरी 2023
मधुश्री जी की कृति चल बंधु उस ठौर चलें का फ्लैप : मनोज जैन
›
परम्परा और नवता का अद्भुत सामंजस्य : 'चल! बन्धु उस ठौर चलें' ----- सोशल मीडिया पर अत्यधिक सक्...
सोमवार, 7 नवंबर 2022
एक टिप्पणी
›
नर्मदेहर। प्रिय भाई मनोज जी, कल आपके गीत सुनकर बहुत अच्छा लगा।आपके गीत बहुत संभावना लिये हुए हैं। मेरी हार्दिक बधाई।कार्यक्रम के बाद आपसे मि...
शुक्रवार, 24 जून 2022
टिप्पणी: सुनील चतुर्वेदी जी
›
श्री आशीष दशोत्तर और श्री ब्रजेश सिंह जी की समीक्षाएं पढ़ीं । दोनों ही समीक्षकों द्वारा आपकी पुस्तक "धूप भरकर मुठ्ठियों में" का सू...
सोमवार, 20 जून 2022
टिप्पणी
›
सीताराम पथिक जी की एक टिप्पणी एक टिप्पणी आदरणीय भाई मनोज जी अगर आज से 30 वर्ष पहले आपने यह गीत लिखा होता तो पूरी तरह अप्रासंगिक होता क्योंक...
सोमवार, 10 जनवरी 2022
टिप्पणी प्रस्तुति : वागर्थ
›
हमारे सम्मानीय पाठक गंगाप्रसाद गुण शेखर जी की महत्वपूर्ण टिप्पणी बहुत दिनों बाद एक नवगीत ने...
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें