एक बाल गीत
प्रस्तुति
मनोज जैन
घर पर मीटिंग रखी अचानक,
चूहों के सरदार ने।
सुनो साथियों क्या तुमने भी,
ख़बर पढ़ी अख़बार में।
अभी-अभी में सुनकर आया,
इतवारी बाजार में।
बिल्ली, तुम सब जिसे जानते,
मोटी है, कजरौटी है।
अभी-अभी वह चारधाम से
तीरथ करके लौटी है।
चाहे हज से लौटे बिल्ली,
या फिर तीरथ धाम से।
कितनी बार नमाज़ पढ़े,
या जुड़ी रहे वह राम से।
माना कंठी माला इसने,
अभी गले में डाली है।
सुनो गौर से इसकी फितरत,
नहीं बदलने वाली है।
तौर तरीके अपनाएगी ,
नये हमें यह मारने।
घर पर मीटिंग रखी अचानक,
चूहों के सरदार ने।
चीं चीं चिक चिक कर चूहों ने,
आपस में कुछ बातें की।
बिल्ली ने भय दिखा दिखा कर
कैसी कैसी घातें की।
जो जो निर्णय हुए सभा में,
सही सभी ने ठहराया।
छिपकर देख रही बिल्ली का,
सुनकर भेजा गरमाया।
थोड़ा ठहरो अभी तनिक तुम
सबको सबक सिखाती हूँ।
कितनी बदली तीरथ करके
मैं तुमको समझाती हूँ।
हौले-हौले दबे पाँव फिर,
बैठी गई आँखे मींचे।
औचक कूँदी वहाँ, जहाँ थे
चूहे चार खड़े नींचे।
खिसियाई बिल्ली चूहों को,
लगी झप्पटा मारने।
घर पर मीटिंग रखी अचानक,
चूहों के सरदार ने।
© मनोज जैन
चित्र गूगल से साभार