रविवार, 24 अगस्त 2025

समीक्षा मुकेश तिरपुड़े

फूलों जैसे सुकोमल , प्रेरक और मर्मस्पर्शी बाल गीतों का खूबसूरत गुलदस्ता - बच्चे होते फूल से !

जब भी कोई बाल गीत पढ़ता हूं बरबस ही मुझे बचपन के दिन याद आने लगते हैं कि जब एकाधिक चिकने चमचमाते पन्नों और खूबसूरत तस्वीरों वाली महत्वपूर्ण बाल पत्रिकाएं ही बच्चों के मनोरंजन का सबसे बड़ा स्त्रोत हुआ करती थीं। नंदन, चंदा मामा, चकमक, देवपुत्र, बालहंस, बाल भारती, लोटपोट आदि कुछ ऐसी महत्वपूर्ण बाल पत्रिकाएं थीं जिन्हें पढ़कर मैंने और मेरी पीढ़ी के बच्चों ने खूबसूरत, मर्मस्पर्शी बाल गीतों व प्रेरक कहानियों का खूब आनंद उठाया ।
समकालीन हिंदी नवगीत के सुप्रसिद्ध गीतकार सहज सरल व्यक्तित्व के धनी, मृदुभाषी, गीत कंठ श्री मनोज जैन मधुर जी की सन 2025 में विचार प्रकाशन ग्वालियर मध्यप्रदेश से प्रकाशित चर्चित बाल गीत संग्रह बच्चे होते फूल से इस समय मेरे पास उपलब्ध है, जिसमें एक से बढ़कर एक रोचक, प्रेरक बाल गीत प्रकाशित हैं।

कुल 104 पेज के इस महत्वपूर्ण शानदार बाल गीत संग्रह में कुल 43 बाल गीत प्रकाशित हैं जो अपनी विविधता से बरबस ध्यानाकर्षित कर रहे हैं। इन महत्वपूर्ण बहुत रोचक प्रेरणादायक बाल गीतों में सहज सरल शब्दों का बढ़िया प्रभावी प्रयोग करते हुए गीतकार ने बहुत उल्लेखनीय बाल गीतों का सृजन किया है। गीतकार श्री मनोज जैन मधुर जी का यह महत्वपूर्ण कार्य निसंदेह सराहनीय और प्रशंसनीय है।

बाल गीतों की भाषा सहज, सरल और रोचक होनी चाहिए जिसे बच्चे सरलता से आत्मसात करते हुए सहज भाव से आनंद को प्राप्त कर सकें।  इस महत्वपूर्ण बाल गीत संग्रह में प्रकाशित बाल गीतों में राष्ट्र प्रेम, परिवार, संस्कार, संस्कृति, नैतिक शिक्षा जैसे विषयों को बहुत अच्छी तरह समाहित किया गया है ।

जैसे आज के बच्चों के लिए मोबाइल एक समस्या बनता जा रहा है। इससे बच्चे कैसे व कितनी दूरी बनाएं इसको रेखांकित करती हुई एक बहुत महत्वपूर्ण बहुत प्रेरक कविता है -

बात हमारी पूरी हो / मोबाइल से दूरी हो / साध्य नहीं यह साधन है/ ना ही यह नारायण है / क्या है इसमें ऐसा जी / जो इतना मन भावन है  !

देखें इसको जी भरकर/जब जब बहुत जरुरी हो !
यह भी एक महामारी/मजबूरी या लाचारी / चस्का बुरा इसे छोड़ो/समझा समझा मां हारी !
सजा दिलाए इसको जो / ऐसी कोई जूरी हो !

बच्चों की कल्पना शक्ति को बढ़ाने वाले विलक्षण अद्भुत गीत बच्चे बहुत पसंद करते हैं क्योंकि ऐसे रोचक बाल गीतों को पढ़ते हुए उनकी कल्पना शक्ति का विस्तार होता है । इसीलिए बच्चों की पुस्तक में अधिकाधिक खूबसूरत चटक रंगों में चित्रों को प्रकाशित किया जाता है ताकि बच्चे गीत में प्रयुक्त शब्दों को चित्रों के माध्यम से मूर्त रूप में देख सकें। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि यदि आप बच्चों को अधिक संवेदनशील और बुद्धिमान बनाना चाहते हैं तो उन्हें प्रेरणादाई बाल गीत, महत्वपूर्ण मर्मस्पर्शी कहानियां व परी कहानियां पढ़ाइए !

इस महत्वपूर्ण और शानदार बाल गीत संग्रह में एक बहुत रोचक बाल गीत है जिसका शीर्षक है - जादूगर ! यह गीत बच्चों को एक नई रोचक खूबसूरत अद्भुत और शानदार दुनिया की सैर कराने के लिए पर्याप्त है जिसमें चार नेवले , आठ कबूतर, बारह मुर्गे, सोलह चूहे, बीस पोपट , चौबीस ऊंट, अट्ठाईस बकरे, बत्तीस गिलहरी , छत्तीस घोड़े, और चालीस खच्चर हैं !
स्वाभाविक है कि इतने सारे छोटे बड़े तरह तरह के पशु पक्षियों की दुनिया की सैर बच्चों के लिए एक अद्भुत अकल्पनीय दुनिया के दरवाजे खोलता है। इस तरह की कविता बच्चों की कल्पना शक्ति को तर्क पूर्ण ढंग से बढ़ाती है। 

 इस रोचक बाल गीत में एक जादूगर बहुत सारे पशु पक्षियों को साथ लेकर आया है और बच्चों को जादू दिखा रहा है । गीतकार श्री मनोज जैन जी ने बहुत ही रोचक शैली में यह एक विलक्षण बाल गीत लिखा है जो बरबस ध्यानाकर्षित कर रहा है ।
इसी तरह एक दूसरे महत्वपूर्ण बाल गीत का शीर्षक है - अल्मोड़ा। इसे पढ़कर ऐसे बच्चे जो कसौली व अल्मोड़ा के बारे में जानते हैं कि यह दोनों उत्तर प्रदेश के प्राकृतिक खूबसूरती से भरपूर महत्वपूर्ण जिले हैं वे खुशियों से भर उठेंगे कि उनका प्यारा घोड़ा उन्हें बहुत दूर की सैर कराता है जो इन महत्वपूर्ण जगहों ( जिलों) के बारे में नहीं जानते वह बच्चे जरुर ही पुछेंगे कि कसौली और अल्मोड़ा का क्या मतलब है? कसौली और अल्मोड़ा शब्दों का क्या अर्थ है क्या मतलब होता है ? 

बाल गीतों में हास्य रस आवश्यक तत्व है इससे बच्चों की कल्पना शक्ति का तो विस्तार होता ही है साथ ही विचित्र रुप से घटने वाली घटनाओं के बारे में सोच सोच कर वे बार बार खुशियों से भरते हैं इस तरह के बाल गीतों के लिए उनकी रुचि स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है ।

बच्चे होते फूल से बाल गीत संग्रह में गीतकार श्री मनोज जैन जी ने हास्य रस से भरपूर बढ़िया बाल गीतों की रचना की है जिनमें से एक मेट्रो पकड़ी चिड़ियाघर की मुझे बहुत अच्छी लगी जिसे यहां उद्धृत करने से मैं स्वयं को रोक नहीं पा रहा हूं -

बढ़ता वजन देखकर अपना / पड़ी सोच में बिल्ली / रामदेव का योग सीखने / मैं जाऊंगी दिल्ली  / स्लिम ट्रिम दिखूं तभी मैं खोलूं / ब्यूटी पार्लर अपना / संजो रखा बिल्ली मौसी ने / एक सलोना सपना / बैठ गई वन्दे भारत में / पहुंची सुबह सबेरे / मेट्रो पकड़ी चिड़ियाघर की /मित्र मिले बहुतेरे/ ताड़ासन में खड़ा हुआ था/ मोटा काला हाथी/ अलग अलग आसन में बैठे / दिखे हजारों साथी ! एक टांग पर खड़े हुए थे / बकुल बने थे योगी / भगवा पहने शेर महाशय / बने हुए थे जोगी ₹/ प्राणायाम किया बकरी ने / सबके मन को भाया / गोरिल्ला ने लटक डाल पर / करतब नया दिखाया / योग शिविर में बिल्ली जैसे/ जाकर बैठी आगे / वजनी चूहे तभी कूदकर/ जान बचाकर भागे ।

इसी तरह हास्य रस से भरे हुए तीन शानदार बाल गीत इस महत्वपूर्ण संग्रह में प्रकाशित हैं जिनमें एक का शीर्षक है-नौ चूहे खाकर, चूना नहीं लगाना, और तीसरा बाल गीत है - 
पाली क्लिनिक !
बच्चों के अधिगम की प्रक्रिया में ऐसे बाल गीत जो नैतिकता से , प्रेरणा से भरे होते हैं वे  सुकोमल मन और स्वभाव वाले बच्चों के अनुभवों को अधिक समृद्ध करते हैं अपने जीवन के लिए अच्छा बुरा सोचने समझने और सीखने की क्षमता ऐसी विचारणीय और मर्मस्पर्शी कविताएं ही विकसित करती हैं जो नैतिकता से, प्रेरणा से भरी हुई होती हैं । बच्चे होते फूल से इस चर्चित बाल गीत संग्रह में गीतकार ने कुछ महत्वपूर्ण प्रेरणादाई गीतों का सृजन किया है जिनमें से एक है बोलूं मीठा वाणी , इसी तरह एक बढ़िया प्रेरक गीत है जिसका शीर्षक है - जाओ स्वेटर लेकर आओ !
           कोयल और कौवे की आपसी बातचीत पर आधारित प्रेरक बालगीत की कुछ पंक्तियां बरबस ध्यानाकर्षित करती हैं जब कौवा कोयल से पुछता है कि तुम्हारी आवाज़ इतनी सुरीली क्यों है? तब कोयल बताती है कि मीठे मीठे आम खाकर मेरी आवाज़ मीठी हुई है। यदि तुम भी सबके साथ अच्छा व्यवहार करो अच्छा मीठा वाणी बोलो तो तुम्हारी आवाज़ भी सुरीली हो जाएगी  बाल गीत की पंक्तियां हैं -

चलो आज से एक नियम लो 
सबसे मीठा बोलो
कुछ कहने से पहले मन में
अपने बचन टटोलो
सीख बांध लो चलो गांठ में
प्यारे कौवे भाई 
हमें देखना इन आंखों से
है सबमे अच्छाई 

सीख सयानी कोयल की सुन
फितरत बदल न पाया
आसमान में उड़कर कौवा 
कांव कांव चिल्लाया ।
बाल गीत बड़ी बुआ में एक बहन अपने भाई के बच्चों से मुखातिब होते हुए खुशियों से भरी हुई है वह बच्चों को प्यार करती है उनके गाल सहलाती है और जीवन के पुराने दिनों की यादें बच्चों के संग बांटती है -

बोली जहां बगीचा है
हमने उसको सींचा है
दिन भर सपने गढ़ते थे
भाई बहन हम पढ़ते थे
आम रसीले खाते थे
मिलकर खुशी मनाते थे

छोटी झील जहां पर है
उसमें रहता था कछुआ
घर आई है बड़ी बुआ
आज बनेगा माल पुआ ।

एक बोध कथा का भावानुवाद करते हुए गीतकार ने दो प्रेरक गीतों की रचना यहां की है दोनों बाल गीत विचारणीय और मर्मस्पर्शी हैं ।इसी तरह सबके मंगल से जीवन में , प्यारी मां, हमारा प्यारा भारत देश , सैर सुबह की , पलकों पर बैठाओ पापा , सैर करो जी , ईश वंदना , बड़ी बुआ 
उपरोक्त शीर्षकों से प्रकाशित सभी बाल गीत निःसंदेह प्रेरक व मर्मस्पर्शी हैं ।

गीतकार श्री मनोज जैन जी ने बाल गीतों की रचना करते हुए तुकबंदियों का अच्छा प्रयोग किया है जिससे सभी गीत रोचक व प्रभावी बन गए हैं ।सभी बाल गीतों में गीतकार ने सहज सरल शब्दों का प्रयोग किया है ताकि बच्चे मूर्त रूप में उन्हें तुरंत जान पहचान जाएं ! विचार प्रकाशन ने पुस्तक का शानदार आवरण बनाया है बाल गीतों की त्रुटि रहित छपाई के लिए विचार प्रकाशन ग्वालियर को बहुत बहुत शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं । चर्चित गीतकार श्री मनोज जैन मधुर जी को इन रोचक , प्रेरणादायक, मर्मस्पर्शी बाल गीतों के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।

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