शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

कवि ,चित्रकार कुँवर रवीन्द्र जी प्रस्तुति ब्लॉग वागर्थ

रंग-संसार
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वागर्थ प्रस्तुत करता है कवि, चित्रकार कुंअर रवीन्द्र जी के रंग संसार की कुछ झलकियाँ
      कुँवर रवीन्द्र जी भाऊ समर्थ के बाद हिन्दी के पाठकों और हिन्दी प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय चित्रकार हैं। कला को समर्पित कुँअर जी के कला साधक ने आज तक किसी कवि-लेखक और प्रकाशक को उनकी किताबों का आवरण बनाकर देने से मना नहीं किया। उनकी सहजता विनम्रता और शालीनता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है। ऐसा नहीं कि उन्हें यह पता नहीं या लोक व्यवहार में प्रयुक्त वह इस रीत को नहीं जानते हैं कि यहाँ, जलती तो वर्तिका है और लोग श्रेय दीपक को देते हैं। एक कला साधक का उत्स भी तो यही है ,वह अपनी कला साधना को अपनी तरफ से शत - प्रतिशत देने के बाबजूद भी श्रेय नहीं लेते। इस बात का अंदाज़ा इसी उदाहरण से लगाया जा सकता है आज तक १८७ किताबों के आवरण छापने के बाद लेखकों, कवियों और उनके प्रकाशकों ने पारश्रमिक तो दूर  उन्हें किताबें ही नहीं भिजवाईं।
                कुँअर रवीन्द्र जी अब तक सैकड़ों कवियों की कविताओं पर सैकड़ों चित्र बना चुके हैं। रवीन्द्र जी के चित्रों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उनमें जीवन गूँजता है। जहाँ तक मैंने उनके वारे में जाना यद्धपि वह अमूर्त चित्रों के चित्रकार नहीं हैं फिर भी उनकी अमूर्तता में भी जीवन अपनी पूरी ताक़त के साथ उभरता है। उनके चित्रों से जुड़ा सबसे बड़ा रोचक तथ्य यह है कि कुँवर जी के यहाँ - श्रम करने वाले फिर चाहे वह किसान हों, श्रमिक हों, फ़ैक्टरी वर्कर हों या मकान बनाने वाले राजगी या कविता लिखने वाला कवि, 
रवीन्द्र जी हर तरह के श्रम को अपने चित्रों में उभारते हैं। श्रम का और श्रम करने वालों का सम्मान उनके यहाँ जिंदादिली के साथ है और यही उनके चित्रों की ख़ूबी है।
 वागर्थ ब्लॉग ,वागर्थ फेसबुक समूह का मेरी आने वाली दूसरी नवगीत कृति 'धूप भरकर मुठ्ठियों में' सारे रंग उनके ही भरे हुए हैं।
वागर्थ उनकी कला साधना को नमन करता है।
    प्रस्तुति
©वागर्थ सम्पादक मण्डल