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शुक्रवार, 19 जुलाई 2024

षष्ठीपूर्ति के आयोजन में : मनोज जैन

लोकप्रिय समूह वागर्थ में प्रस्तुत है एक नवगीत
प्रस्तुति 
मनोज जैन 

षष्ठीपूर्ति
_________

गाना,
जिसका मोल नहीं,
वह गाकर धन्य हुए।

षष्ठीपूर्ति
के आयोजन में,
जाकर धन्य हुए।

लघुता में भी हम विराटता!
मढ़ते चले गये।
ग्रंथ विमोचित हुआ क़सीदे,
पढ़ते चले गये।

पैग मार हम,
सघन मेघ-से,
छाकर धन्य हुए।

दया,धरम,ईमान,विधाता,
इनकी झोली में।
रस टपकाया हमने भी 
शहदीली बोली में।

प्रायोजित,
उपहार लाख का,
पाकर धन्य हुए।

तिकड़म,गुणा,भाग,विज्ञापन,
लकदक शैली है।
हमनें निर्गुन स्वच्छ कहा, पर !
चादर मैली है।

झूठ बोल हम,
कसम राम की,
खाकर धन्य हुए।

मनोज जैन 

बुधवार, 17 जुलाई 2024

मीनाक्षी ठाकुर का एक नवगीत



मीनाक्षी ठाकुर जी का एक नवगीत
प्रस्तुति
वागर्थ


मधुर गीत -नवगीत आपके, 
शब्द अनूठे, बिंब हज़ार। 


कभी धूप भर कर मुट्ठी में, 
पाना  ये चाहें  सूरज। 
कभी बुद्ध के आदर्शों की, 
माथे पर सज जाती रज। 


कभी भाव की एक बूँद से
 भर जाता स्वप्निल संसार। 


मधुर गीत -नवगीत आपके, 
शब्द अनूठे, बिंब हज़ार। 
कसे शिल्प में  बँधे छंद हैं, 
कविताओं में उजलापन।
तीखी-पैनी धार कलम की, 
लिखते केवल जन का मन। 


सदा झूठ की बाँह मरोडी, 
और किया सच का सत्कार। 


मधुर गीत -नवगीत आपके, 
शब्द अनूठे, बिंब हज़ार। 
पर -पीड़ा से रहे उपजते, 
मन में  जितने प्रश्न तमाम। 
नयी सोच ने लिख डाले हैं, 
उत्तर अगणित तभी ललाम। 


स्वागत करने मचल रहा है, 
आज आपको हरसिंगार। 

मधुर गीत -नवगीत आपके, 

शब्द अनूठे, बिंब हज़ार। 


मीनाक्षी ठाकुर, मिलन विहार
मुरादाबाद।