लोकप्रिय समूह वागर्थ में प्रस्तुत है एक नवगीत
प्रस्तुति
मनोज जैन
षष्ठीपूर्ति
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गाना,
जिसका मोल नहीं,
वह गाकर धन्य हुए।
षष्ठीपूर्ति
के आयोजन में,
जाकर धन्य हुए।
लघुता में भी हम विराटता!
मढ़ते चले गये।
ग्रंथ विमोचित हुआ क़सीदे,
पढ़ते चले गये।
पैग मार हम,
सघन मेघ-से,
छाकर धन्य हुए।
दया,धरम,ईमान,विधाता,
इनकी झोली में।
रस टपकाया हमने भी
शहदीली बोली में।
प्रायोजित,
उपहार लाख का,
पाकर धन्य हुए।
तिकड़म,गुणा,भाग,विज्ञापन,
लकदक शैली है।
हमनें निर्गुन स्वच्छ कहा, पर !
चादर मैली है।
झूठ बोल हम,
कसम राम की,
खाकर धन्य हुए।
मनोज जैन
रस टपकाया/हमने भी शहदीली बोली में...
जवाब देंहटाएंवाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्... वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्.. निःसंदेह बहुत ही प्रभावी, बहुत ही शानदार नवगीत
आत्मीय स्वजन सादर धन्यवाद
हटाएंचादर मैली है
हटाएंआत्मनिरीक्षण, बहुत बढ़िया
हार्दिक आभार
हटाएंजबरदस्त व्यंग्य गीत
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचना, ,
जवाब देंहटाएंधारदार गीत, हार्दिक बधाई आपको 💐
जवाब देंहटाएंआपका आभार
हटाएंहमने निर्गुण ,स्वच्छ कहा पर चादर मैली है ,वाह बेहद सुंदर लिखा आदरणीय जी 👏👏🙏💐
जवाब देंहटाएंइतना अच्छा गीत पढ़कर हम धन्य हुए…!🌷
जवाब देंहटाएंआत्मीय आभार
हटाएंइतना मस्त गीत सुनकर पढ़कर हम धन्य हुए😃😃💐💐
जवाब देंहटाएंआत्मीय आभार
हटाएंजीवन का सफर है और एक संवेदनशील अभिव्यक्ति है सफर की।
जवाब देंहटाएंप्रवंचनाओं से जितना दूर रहा जाय, जीवन में भी कविता मे भी तो और अच्छी बात होती।
आप सही कह रहे हैं। सादर प्रणाम
हटाएंधन्य हुए। यथार्थ बयानी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी
हटाएंपैग मार हम सघन मेघ से छाकर धन्य हुए.!
जवाब देंहटाएंऔर हम सब यह आपकी पंक्तियां
पढ़ कर धन्य हुए।।
आपका कृतज्ञ मन से आभार
हटाएंआत्मीय आभार
हटाएंबहुत खूब!
जवाब देंहटाएंसुंदर नवगीत में ब्यंग्य की छोंक
बड़ी अच्छी लेगी।
झूठों की महफ़िलों में,सच्चो की पुछ नहीं होती।