शुक्रवार, 19 जुलाई 2024

षष्ठीपूर्ति के आयोजन में : मनोज जैन

लोकप्रिय समूह वागर्थ में प्रस्तुत है एक नवगीत
प्रस्तुति 
मनोज जैन 

षष्ठीपूर्ति
_________

गाना,
जिसका मोल नहीं,
वह गाकर धन्य हुए।

षष्ठीपूर्ति
के आयोजन में,
जाकर धन्य हुए।

लघुता में भी हम विराटता!
मढ़ते चले गये।
ग्रंथ विमोचित हुआ क़सीदे,
पढ़ते चले गये।

पैग मार हम,
सघन मेघ-से,
छाकर धन्य हुए।

दया,धरम,ईमान,विधाता,
इनकी झोली में।
रस टपकाया हमने भी 
शहदीली बोली में।

प्रायोजित,
उपहार लाख का,
पाकर धन्य हुए।

तिकड़म,गुणा,भाग,विज्ञापन,
लकदक शैली है।
हमनें निर्गुन स्वच्छ कहा, पर !
चादर मैली है।

झूठ बोल हम,
कसम राम की,
खाकर धन्य हुए।

मनोज जैन 

21 टिप्‍पणियां:

  1. रस टपकाया/हमने भी शहदीली बोली में...
    वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्... वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्.. निःसंदेह बहुत ही प्रभावी, बहुत ही शानदार नवगीत

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  2. जबरदस्त व्यंग्य गीत

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  3. उत्कृष्ट रचना, ,

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  4. धारदार गीत, हार्दिक बधाई आपको 💐

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  5. हमने निर्गुण ,स्वच्छ कहा पर चादर मैली है ,वाह बेहद सुंदर लिखा आदरणीय जी 👏👏🙏💐

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  6. इतना अच्छा गीत पढ़कर हम धन्य हुए…!🌷

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  7. इतना मस्त गीत सुनकर पढ़कर हम धन्य हुए😃😃💐💐

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  8. जीवन का सफर है और एक संवेदनशील अभिव्यक्ति है सफर की।
    प्रवंचनाओं से जितना दूर रहा जाय, जीवन में भी कविता मे भी तो और अच्छी बात होती।

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  9. धन्य हुए। यथार्थ बयानी।

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  10. पैग मार हम सघन मेघ से छाकर धन्य हुए.!
    और हम सब यह आपकी पंक्तियां
    पढ़ कर धन्य हुए।।

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  11. बहुत खूब!
    सुंदर नवगीत में ब्यंग्य की छोंक
    बड़ी अच्छी लेगी।
    झूठों की महफ़िलों में,सच्चो की पुछ नहीं होती।

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