जीत गया गणतंत्र
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जीत गया गणतंत्र लोक में
अहंकार हारा।
तुम्हें किसी ने नहीं तुम्हारे,
कर्मों ने मारा।
भोली जनता को भरमाने
बन बैठे अवतारी।
'उसके' हिस्से की चुपके से
क्रेडिट ले ली सारी।
मौका पाते ही पब्लिक ने
चला दिया आरा।
पलटूराम हुए ताक़तवर
युग की सच यह गाथा।
राजा होकर तुम्हें झुकाना
होगा अपना माथा।
सहना होगा भार गधों का
अब तुमको सारा।
सचमुच थे अवतार आप तो
चमत्कार कुछ करते।
कठिन घड़ी में अपने भक्तों
के तुम संकट हरते।
कर दिखलाते पार चार सौ
का सच में नारा।
आसमान से उतरो नीचे
धरती पर आ जाओ।
सबको लेकर साथ प्रेम से
मिलकर देश चलाओ।
फीका है यह जश्न समय की
है उल्टी धारा।
दो हाथों को काम चुनौती
सन्मुख यही खड़ी है।
लोकतंत्र में सब छोटे हैं
जनता बहुत बड़ी है।
जड़ता रोती रही ज्ञान ने
जनमत स्वीकारा।
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