मौसम आया गर्मी का
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आँख दिखाता है पारा
हद है इस बेशर्मी का
मौसम आया गर्मी का
गया रसातल में पानी
हलाकान सारे प्राणी
कर्फ्यू-सा सन्नाटा है
पल-पल कैसे काटा है
उठे बगुले धूल के
काँटे झड़े बबूल के
नदिया सिमटी रेत में
आग लगी है खेत में
अड़ी डालती है आँधी
अंधड़ की हठधर्मी का
मौसम आया गर्मी का
सूरज आग उगलता है
सारा आलम जलता है
कूलर ने दम तोड़ दिया
ए सी ने सँग छोड़ दिया
बेदम चिड़िया हाँफ रही
मुनिया छुप मुँह ढाँफ रही
सूरज भाई रहम करो
रब से थोड़ा आप डरो
लपटों से तन जलता है
ध्यान रखो हर कर्मी का
मौसम आया गर्मी का
जेठ दुलत्ती मारता
कोड़े से फटकारता
तीखे तेवर धूप के
चेहरे झुलसे रूप के
तपता दिन ज्यों भट्टी हो
इस मौसम से कट्टी हो
छोटे मझले और बड़े
बन सन्यासी पेड़ खड़े
जप तप संयम सब छूटा
धर्मी और अधर्मी का
मौसम आया गर्मी का
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