रविवार, 7 जुलाई 2024

मनोज जैन का एक नवगीत प्रस्तुति ब्लॉग : वागर्थ

हमारी
राजन! राखो लाज
___________________

हमारी 
राजन! राखो लाज
घोटाले हैं इतने सारे 
खुलें न इनके राज
हमारी 
राजन! राखो लाज

संविधान की शपथ उठाकर 
काला पीला कीना
कहने भर को सत्यव्रती थे 
हक़ दूजों का छीना

समझाया था हमें जगत ने 
हमीं न आये वाज
हमारी
राजन! राखो लाज।

हर-हर गंगे कहकर हमने 
जमकर नदिया लूटी
रेत माफिया को दे ठेके 
जी भर चाँदी कूटी

जहाँ-जहाँ हम गये गिराई
पावर वाली गाज
हमारी!
राजन ! राखो लाज।

करतूतों की लिस्ट कहें क्या
बेहद लंबी-चौड़ी
वादों वाली ट्रेन सभी के
सम्मुख सरपट दौड़ी

हो जाये ना 
राजन! हमकों
कहीं कोढ़ में खाज

हमारी 
राजन! राखो लाज।

जस की तस हम धरें चदरिया
अबकी ऐसा कर दो
सब कुछ ले लो स्वामी हमसे 
पर हमको यह वर दो

हम हैं थर-थर 
कँपती चिड़िया
तुम हो उड़ते बाज

हमारी 
राजन! राखो लाज।

मनोज जैन