फुलझड़ी
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एक नन्हीं
फुलझड़ी
अनगिन सितारे छोड़ती हूँ।
स्वर्ण की आभा समेटे
हर सितारा जिंदगी भर
जगमगाता है।
टूटने से ठीक पहले
नेह मंगल का नया
नवगीत गाता है।
एक क्षण में
नेह के
संवेदनों को जोड़ती हूँ।
ज़िन्दगी अनमोल है
चाहे बड़ी हो
या रहे पल की।
ज़िन्दादिली पहचान इसकी
झोंपड़ी हो या
महल की।
मैं निमिष भर
तमस पीकर
मुस्कुराहट ओढ़ती हूँ।
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मनोज जैन
106,विट्ठलनगर
गुफामन्दिर रोड
लालघाटी
भोपाल 462030