डॉ. अभिजीत देशमुख : लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ते कदम
डॉ.अभिजीत देशमुख जी को सबसे पहले निकट से जानने का अवसर आज से यही कोई चार वर्षपूर्व होटल लेकव्यूह अशोका में, उनके जन्मदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह में हुआ था,जिसका आमन्त्रण मुझे इस आयोजन के मुख्य संयोजक सुबोध श्रीवास्तव जी के माध्यम से मिला था।
इस अवसर पर डॉ साहब के उद्बोधन से कुछ ऐसे बिंदु उभरे जो मेरे लिए शोध का विषय थे, जिनका उत्तर खोजने में मुझे पूरे चार वर्ष लगे। मंथन और निष्कर्ष के बाद अब मैं यह कह सकता हूँ कि डॉ. देशमुख जी का उस दिन का उद्बोधन अपनी जगह सौ फीसदी सही था। जिस कथन में उन्होंने अपनी खुशियों को विशिष्ट मित्रों की बजाय साधारण मित्रों के साथ मिल बाँटकर साझा करने की बात स्वीकारी थी।
डॉ अभिजीत देशमुख जी मूलतः महाराष्ट्र से आते हैं और इन दिनों मध्यप्रदेश की सक्रिय राजनीति से जुड़े हैं। उनका यह राजनैतिक जुड़ाव अनायास नहीं है। वे इस क्षेत्र में पूरी तैयारी और अनुभव के साथ यहाँ हैं। राजनीति राजनैतिक गुण उन्हें विरासत में मिले एक प्रश्न के उत्तर में वे अपने पॉलिटिकल बैकग्राउण्ड का जिक्र करते हुए अपने नाना जी को याद करते हैं जो वर्षों सांसद रहे। बात केवल ननिहाल पक्ष की नही उनकी चार-चार बुआ विधायक रही हैं। सार- संक्षेप में कहें तो मूल्य परक राजनीति से उनका जुड़ाव आरम्भ से है और वह अपने इस जुड़ाव का श्रेय अपने नाना जी को देते हैं।
महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश के छोटे से कस्बे शुजालपुर तक आते-आते बालक अभिजीत ने अपनी जीवन यात्रा के अनेक पड़ावों को पार किया और शुजालपुर के वातावरण माता-पिता के संस्कार आशीर्वाद ने उन्हें एक सफल शल्य चिकित्सक बना दिया। चिकित्सक बनने की प्रेरणा उन्हें अपने गृहनगर शुजालपुर में ही उनके एक पड़ोसी चिकित्सक से मिली जिनके यहाँ सैकड़ों की संख्या में बैलगाड़ियाँ कतारबद्ध मरीजों को लेकर डॉ साहब को दिखाने आया करती । उस भीड़ में कुछेक ऐसे भी होते जिनके हिस्से में केबल निराशा ही आया करती।
उस नैराश्य भाव को बालक अभिजीत ने ध्यान से पढ़ा और एक सेवाभावी चिकित्सक बनने का दृढ़ संकल्प संजोया। बचपन में संजोए स्वप्न और परिकल्पना को आज डॉ. अभिजीत देशमुख चिकित्सा केम्पों के माध्यम से मूर्तरूप दे रहे हैं। निःशुल्क चिकित्सा केम्पों का अच्छा खासा डाटा उनके समकालीन चिकित्सकों को स्पृहणीय है।
डॉ.अभिजीत देशमुख जी इन दिनों बीजेपी चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक हैं। प्रदेश की राजनीति में उनका खासा दखल भी है। एक अन्य प्रश्न के पूरक उत्तर में वे भारत के यशस्वी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी की आयुष्मान योजना को स्वयं का देखा स्वप्न मानते हैं। साथ ही ऐसी अनेक योजनाएं लेकर आना चाहते हैं जिनका सीधा जुड़ाव आम जनता से हो, जो धन के अभाव में अपना बेहतर इलाज़ नहीं करा पाते।
मौत के मुँह से जीवन को खींच लाने वाले डॉ. अभिजीत देशमुख जी वर्तमान में अपनी पैथी के अत्यंत सफल शल्य चिकित्सक हैं। एक वार्ता में जब हमनें उनके संवेदनशील मन को छूने की कोशिश की तब उन्होंने एक ऐसी कॉम्प्लीकेटेड सर्जरी (लेप्रोटोमी) का जिक्र किया अत्यधिक रक्तस्राव के कारण असम्भव को सम्भव कर दिखाया।
हर सफल ऑपरेशन उन्हें अलौकिक सुख देता है। उनका कहना है कि हम चिकित्सक पूरी तरह रोगी के सुख दुख से स्वाभाविक जुड़ जाते हैं। डॉ.अभिजीत देशमुख जी जीवन का पूरा आनन्द लेते हैं जब वह ऑपरेशन थियेटर में होते हैं तो राजनीति को बाहर छोड़ देते हैं और जब राजनैतिक भूमिका में होते हैं तब अपने मिशन से ऊपर उस पेशेंट के जीवन को रखते हैं जो उन्हें उस समय पुकार रहा होता है।
आज की तिथि में डॉ देशमुख जी जैसे मूल्यपरक नेताओं का राजनीति की बड़ी भूमिकाओं के सम्यक निर्वहन के लिए स्वागत होना चाहिए ।
डॉ.अभिजीत देशमुख जी की तुलना डॉ बीसी रॉय जी से की जा सकती है जो मरीज को हजारों की भीड़ में भी पहचान लेते थे। डॉक्टर्स समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डॉक्टरों के जीवन में कई बार ऐसे अवसर भी आते हैं, जब उन्हें अपनी खुशियाँ त्याग कर अपना कर्तव्य निभाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
डॉ अभिजीत देशमुख जी के बहाने मैं सभी डॉक्टर्स को आज के विशेष दिन की शुभकामनाएं देता हूँ।
हैप्पी डॉक्टर्स डे
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मनोज जैन
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