रविवार, 27 फ़रवरी 2022

।।वागर्थ।।~ प्रस्तुत करता है बाबा नागार्जुन के दो गीत।

।।वागर्थ।।~ प्रस्तुत करता है बाबा नागार्जुन के दो गीत।
1
उनको प्रणाम!
जो नहीं हो सके पूर्ण-काम
मैं उनको करता हूँ प्रणाम।

कुछ कंठित औ' कुछ लक्ष्य-भ्रष्ट
जिनके अभिमंत्रित तीर हुए;
रण की समाप्ति के पहले ही
जो वीर रिक्त तूणीर हुए!
उनको प्रणाम!

जो छोटी-सी नैया लेकर
उतरे करने को उदधि-पार,
मन की मन में ही रही, स्वयं
हो गए उसी में निराकार!
उनको प्रणाम!

जो उच्च शिखर की ओर बढ़े
रह-रह नव-नव उत्साह भरे,
पर कुछ ने ले ली हिम-समाधि
कुछ असफल ही नीचे उतरे!
उनको प्रणाम

एकाकी और अकिंचन हो
जो भू-परिक्रमा को निकले,
हो गए पंगु, प्रति-पद जिनके
इतने अदृष्ट के दाव चले!
उनको प्रणाम

कृत-कृत नहीं जो हो पाए,
प्रत्युत फाँसी पर गए झूल
कुछ ही दिन बीते हैं, फिर भी
यह दुनिया जिनको गई भूल!
उनको प्रणाम!

थी उम्र साधना, पर जिनका
जीवन नाटक दु:खांत हुआ,
या जन्म-काल में सिंह लग्न
पर कुसमय ही देहाँत हुआ!
उनको प्रणाम

दृढ़ व्रत औ' दुर्दम साहस के
जो उदाहरण थे मूर्ति-मंत?
पर निरवधि बंदी जीवन ने
जिनकी धुन का कर दिया अंत!
उनको प्रणाम!

जिनकी सेवाएँ अतुलनीय
पर विज्ञापन से रहे दूर
प्रतिकूल परिस्थिति ने जिनके
कर दिए मनोरथ चूर-चूर!
उनको प्रणाम!

2

जान भर रहे हैं जंगल में
गीली भादों
रैन अमावस

कैसे ये नीलम उजास के
अच्छत छींट रहे जंगल में
कितना अद्भुत योगदान है
इनका भी वर्षा-मंगल में
लगता है ये ही जीतेंगे
शक्ति प्रदर्शन के दंगल में
लाख-लाख हैं, सौ हज़ार हैं
कौन गिनेगा, बेशुमार हैं
मिल-जुलकर दिप-दिप करते हैं
कौन कहेगा, जल मरते हैं
जान भर रहे हैं जंगल में

गीली भादों
रैन अमावस

जुगनू है ये स्वयं प्रकाशी
पल-पल भास्वर पल-पल नाशी
कैसा अद्भुत योगदान है
इनका भी वर्षा मंगल में
इनकी विजय सुनिश्चित ही है
तिमिर तीर्थ वाले दंगल में
इन्हें न तुम 'बेचारे' कहना
अजी यही तो ज्योति-कीट हैं
जान भर रहे हैं जंगल में

गीली भादों
रैन अमावस

परिचय
_________
जन्म : १९११ ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ग्राम तरौनी, जिला दरभंगा में।

परंपरागत प्राचीन पद्धति से संस्कृत की शिक्षा। सुविख्यात प्रगतिशील कवि एवं कथाकार। हिन्दी, मैथिली, संस्कृत और बंगला में काव्य रचना। मातृभाषा मैथिली में "यात्री" नाम से लेखन।मैथिली काव्य संग्रह "पत्रहीन नग्न गाछ" के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।

छह से अधिक उपन्यास, एक दर्जन कविता संग्रह, दो खण्ड काव्य, दो मैथिली (हिन्दी में भी अनूदित) कविता संग्रह, एक मैथिली उपन्यास, एक संस्कृत काव्य "धर्मलोक शतकम" तथा संस्कृत से कुछ अनूदित कृतियों के रचयिता।

निधन : ५ नवम्बर १९९८।

7 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (२८ -०२ -२०२२ ) को
    'का पर करूँ लेखन कि पाठक मोरा आन्हर !..'( चर्चा अंक -४३५५)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. बाबा को नमन
    कालजयी नवगीत
    सुंदर और सार्थक प्रस्तुति

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  3. बाबा नागार्जुन के उत्कृष्ट नवगीत शेयर करने हेतु धन्यवाद।

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  4. बहुत सुंदर गीत गूढ़ भाव लिए।

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