चर्चित कवयित्री कुसुम कोठारी जी राजस्थान से आती हैं। सोशलमीडिया पर खासी सक्रिय कुसम कोठारी जी अच्छी समीक्षक हैं। ब्लॉग जगत में आप की सक्रिय रचनात्मक उपस्थिति प्रेरक है।
प्रस्तुत हैं दो गीत
एक
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आधुनिकता
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कितना पीसा कूटा लेकिन
तेल बचा है राई में
बहुओं में तो खोट भरा है
गुण दिखते बस जाई में।
हंस बने फिरते हैं कागा
जाने कितने पाप किये
सौ मुसटा गटक बिलाई
माला फेरे जाप किये
थैला जब रुपयों से भरता
खोट दिखाता पाई में।।
पछुवाँ आँधी में सब उड़ते
हवा मोल जीवन सस्ता
बैग कांध पर अब लटकी है
गया तेल लेने बस्ता
अचकन जामा छोड़ छाड़ कर
दुल्हा सजता टाई में।।
पर को धोखा देकर देखो
सीढ़ी एक बनाते हैं
बढ़ी चढ़ी बातों के लच्छे
रेशम बाँध सुनाते हैं
परिवर्तन की चकाचौंध ने
आज धकेला खाई में।।
गुण ग्राही संस्कार तालिका
आज टँगी है खूटी पर
औषध के व्यापार बढे हैं
ताले जड़ते बूटी पर
सूरज डूबा क्षीर निधी में
साँझ घिरी कलझाई में।।
दो
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भूख और निर्धन
काले बादल निशि दिन छाये
चाबुक बरसाता काल खड़ा।
सूखी बगिया तृण-तृण बिखरी
आशाओं का फूल झड़ा।।
चूल्हा सिसका कितनी रातें
उदर जले दावानल धूरा
राख ठँडी हो कंबल मांगे
सूखी लकड़ी तन तम्बूरा
अंबक चिर निद्रा को ढूंढ़े
धूसर वसना कंकाल जड़ा।।
पोषण पर दुर्भिक्ष घिरा है
खंखर काया खुडखुड़ ड़ोले
बंद होती एकतारा श्वांसे
भूखी दितिजा मुंँह है खोले
निर्धन से आँसू चीत्कारे
फिर देखा हर्ष अकाल पड़ा।।
आर्द्र विहिन सूखा तन पिंजर
घोर निराशा आँखे खाली
लाचारी की बगिया लहके
भग्न भाग्य की फूटी थाली
पल क्षण लगता जाने कब को
पके बिना फल डाली सड़ा।।
परिचय:-
नाम - कुसुम कोठारी ।
उपनाम 'प्रज्ञा'।
शिक्षा- राजस्थान विश्व विद्यालय से स्नातक।
रुचि-कविता,लेख, कहानियाँ लघुकथा लिखना, प्रकृति पर लेखन पहली पसंद।
ब्लाॅग-मन की वीणा।
फ़ेसबुक पर नियमित रचनाएँ प्रेसित।
क़रीब सात साल से लेखन कार्य में - स्वांत सुखाय लेखन और
छंदबद्ध लेखन में रुझान, दोहा, सौरठा, रोला, कुण्ड़लिया, चौपाई, घनाक्षरी, सवैया सहित विभिन्न छंद , गीतिका, मुक्तक, गीत, नवगीत आदि विधाओं में लेखन।
प्रकाशित पुस्तकें :-एकल संग्रह
१."मन की वीणा कुंडलियाँ"
२."मन की वीणा नवगीत-गीत सौरभ।
प्रकाशित साझा संग्रह:
१.अंजुमन ।
२.मधुकर ।
३.झरोखा ।
४.गीत गूँजते हैं ।
५.विज्ञात नवगीत माला ।
६.नन्ही फुलवारी ।
७.ये कुण्डलियाँ बोलती है।
८ गुँजन ( हाइकु विधा ) ।
९ विज्ञात बेरी छंद सौ छंद
१० विज्ञात के साक्षात्कार में साक्षात्कार।
११ अक्षय गौरव ई-पत्रिका में कहानी" माँ का मन" ।
१२ काव्य रश्मियाँ।
email :
kusumdevikothari@gmail.com
आदरणीय कुसुम जी की रचनाओं से मेरा परिचय ब्लॉग द्वारा हुआ और नियमित हो रहा है,आप सतत लेखन में सक्रिय हैं,और विभिन्न विधाओं में बहुत उत्कृष्ट सृजन करती हैं, आपकी रचना में मौलिकता स्वाभाविकता और गेयता का इतना सुंदर समावेश होता है कि पाठक बंध जाता है, और नवगीत के क्या कहने ? बहुत ही सुंदर और सार्थक नवगीत लिखती हैं।
जवाब देंहटाएंदोनो नवगीत बहुत ही सुंदर और यथार्थ को परिभाषित कर रहे हैं ।
आदरणीय मनोज जैन जी का गीतों को साझा करने के लिए बहुत बहुत आभार । कुसुम जी को हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐👏👏
सस्नेह आभार आपका जिज्ञासा जी आपकी स्नेहसिक्त, समीक्षात्मक टिप्पणी और आपकी शुभकामनाएं मेरे सृजन के लिए उपहार स्वरूप है।
हटाएंसस्नेह।
आपका बहुत आभार आदरणीय मैं भी उपस्थित रहूँगा वागर्थ आप से 5 नवगीत फ़ोटो परिचय सहित फेसबुक समूह के लिए आमंत्रित करता है।9301337806 व्हाट्सएप्प पर भेजें
जवाब देंहटाएंवाह! सराहनीय सृजन।
जवाब देंहटाएंआदरणीया कुसुम दी के नवगीतों में जीवन के विविध रंग और कल्पना व यथार्थ का अति सुंदर एवं मार्मिक चित्रण मिलता है। नवगीत विधा को आदरणीया कुसुम दी ने नई ऊँचाइयाँ दी हैं।
नवगीतों का शिल्प और विषय चयन रसमर्मज्ञ पाठकों को आनंदित करता है।
आदरणीया कुसुम दी को ख़ूब सारी शुभकामनाएँ।
वागर्थ समूह का सराहनीय कदम।
सादर
प्रिय अनिता आपकी प्रबुद्ध, स्नेहिल टिप्पणी और आपका स्नेह सदा मेरा संबल है ।
हटाएंविस्तृत विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया में सम्मान देने हेतु हृदय से आभार।
सस्नेह।
सुंदर गीत सखि
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार सखी आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया मेरे लिए सशक्त ऊर्जा है।
हटाएंसस्नेह।
वाह! बहुत प्रभावशाली परिचय और रचनाएँ, बधाई और शुभकामनाएँ कुसुम जी!
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार आपका अनिता जी।
हटाएंआपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से लेखन को सदा नव उर्जा मिलती है।
सस्नेह।
बहुत ही सुंदर!
जवाब देंहटाएंआदरणीय कुसुम मैम के ब्लॉग पर अक्सर जाना होता है बहुत ही अच्छा लिखती हैं मैम की लेखनी से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलता और जिससे मैं अपनी लेखनी में सुधार लाने का प्रयास करतीं हूँ!आज मैम को देख कर बहुत ही प्रसन्नता हुई! चेहरे पर ऐसे ही मुस्कान बनीं रहें हमेशा!
मैम को बहुत बहुत बधाई💐💐
प्रिय मनीषा आप एक उभरती यथार्थ वादी लेखनी की स्वामिनी हो,आपके द्वारा इतनी प्यारी स्नेह से भरपूर सुंदर प्रतिक्रिया पाकर मन आह्लादित हो गया।
हटाएंसदा सामाजिक चेतना वाले नव सृजन करती रहें ।
सस्नेह।
आदरणीय मनोज जैन जी,एंव समस्त वागर्थ परिवार को सादर अभिवादन।
जवाब देंहटाएंवागर्थ से मेरा परिचय बस कुछ दिन पहले ही हुआ था।मैंने मंच की सदस्यता ली और कुछ सक्रिय भागीदारी भी निभाई उसी बीच आ0 मनोज जैन जी ने मेरे नवगीत मंगवाए ।
वागर्थ समकालीन कविताओं का सशक्त मंच है आ0 मनोज जैन जी नये-पुराने , प्रतिष्ठित और नव रचनाकारों सभी के समकालीन सृजन को समीक्षा के साथ या फिर प्रबुद्ध रचनाकारों की समीक्षा के लिए वागर्थ पर प्रस्तुत करते हैं।
वागर्थ का ये निस्वार्थ भाव से हिन्दी साहित्य क्षेत्र में अतुलनीय सहयोग साहित्य और साहित्यकारों के लिए अमूल्य है।
एक ही मंच पर कलम के धनी हस्ताक्षर देखने, पढ़ने का सौभाग्य मिला मुझे इस मंच पर।
और आज मेरे दो नवगीतों को वागर्थ ने अपने प्रबुद्ध पाठकों और मूर्धन्य रचनाकारों के सम्मुख प्रेषित किए, ये मेरे लिए हर्ष और सौभाग्य की बात है
मैं अभिभूत हूँ । सभी ने मेरे प्रयासों को हाथों-हाथ लिया।
मैं पूरे वागर्थ परिवार की आभारी हूँ । आदरणीय मनोज जैन जी को अंतर हृदय से आभार कहती हूँ जिन्होंने मुझे इस प्रक्रिया के उपयुक्त समझा।
पुनः आभार अभिवादन।
सादर।
सादर आभार आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और सार्थक नवगीतों का चयन। पहला गीत मनोरंजक होने के साथ साथ सच का सामना कराता है और महफिल में छाने योग्य है। दूसरी कविता अभावग्रस्तों के जीवन का कटु सत्य मार्मिक शब्दचित्र प्रस्तुत कर रही है। बधाई आदरणीया कुसुम दीदी।
जवाब देंहटाएंआप सभी टिप्पणीकारों को वागर्थ की तरफ से बहुत आभार। समूह वागर्थ गीतों नवगीतों पर एकाग्र उपक्रम है आप मे से यदि कोई और भी अच्छे गीत हमें भेजना चाहें तो हम उन्हें सहर्ष वागर्थ में प्रस्तुत करेंगे।आप हमें 9301337806 पर गीत भेज सकते हैं।सादर
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