जीवंत प्रस्तुतियों की श्रेष्ठतम बानगी : शिवोहम साहित्यक मंच का पेज
टिप्पणी
मनोज जैन
वैश्विक महामारी कोविड-19,के कारण लॉक डाउन के पहले चरण में,जनहित में जारी शासकीय बाध्यता के चलते लोगों को घरों में कैद होना पड़ा।
अनचाहे हिस्से में आये खाली समय के उपयोग के लिए यह वह समय था,जब फेसबुक पर 'पेज' तेजी से लगातार चर्चा के केंद्र में आ रहे थे।इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरफ साहित्यिक अभिरुचि के बढ़ते रुझान को देखते हुए शिवोहम साहित्यिक मंच के संस्थापक सदस्य सॉफ्टवेयर इंजीनियर अमित तिवारी जी Amit Tiwari जी और उनकी अर्धांगिनी चर्चित कवयित्री डॉ भावना तिवारी जी ने छंद प्रसंग और अपनी संस्था शिवोहम साहित्यिक मंच के उद्देश्यों की पूर्ति के चलते मुख्यतः गीतकारों को केन्द्र में रखकर,पृष्ठ पर एकल गीत पाठ करने के लिये गीतकारों को आमन्त्रित किया।अपनी स्तरीय और श्रेष्ठ साहित्यिक गतिविधियों के चलते यह पेज तेजी से चर्चा में आने लगा।
शिवोहम साहित्यिक मंच की स्थापना आशु कवि पं शिव प्रसाद मिश्र जी के नाम पर 2017 में हुई जिनका सम्बंध कानपुर से जुड़ता है।मिश्र जी पेशे से शिक्षक और अभिरुचि से साहित्यकार रहे हैं।
चूंकि,संस्था के अन्यतम उद्देश्यों में एक उद्देश्य यह भी है की ऐसे साहित्यिक मनीषियों की पहचान की जाय जिनका ध्येय मंच की तरफ न होकर अपने अवदान से
निरन्तर साहित्य में अपनी ओर से नया जोड़ते रहने की कोशिश का रहा हो परिणाम स्वरूप संस्था अपने संस्थागत उद्देश्य को लेकर विगत तीन वर्षों से देश के अनेक मनीषियों को सम्मानित करती आ रही है।
शिवोहम साहित्यिक मंच ने अपनी पहली प्रस्तुति 29 अप्रैल 2020 को शाम 6 बजे हरदोई के गीतकार पवन कश्यप से आरम्भ की,जबकि समापन 16 जुलाई 20 को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के प्रख्यात गीतकार मयंक श्रीवास्तव जी Mayank Shrivastava की सर्वाधिक मनभावन प्रस्तुति से हुआ।
लगभग ढाई महीने चले इस आयोजन ने लोगों का ध्यान अनेक कारणों से अपनी ओर आकृष्ट किया उनमें से कुछ बिंदुओं पर चर्चा करने पर सामने जो निष्कर्ष आता है,वह यह कि सोशल मीडिया की साहित्यिक भीड़ से स्तरीय गीतकारों का चयन।
दूसरा,सुदूर अंचलों से ऐसे गीतकारों को मंच प्रदान करना जिन्हें पहले कभी लाइव न तो कभी देखा और न ही सुना।
मैं कुछ प्रस्तुतियों को स्मरण कर अपने अनुभव साझा करना चाहूँगा।
इस मंच से पहले मेरा ध्यान कभी भी प्रदीप पुष्पेंद्र जी के गीतों पर नहीं गया मैं उन्हें सुनकर आश्चर्य चकित था उनके गीत बेजोड़ थे।एक और अनुभव जोड़ना चाहूँगा,निःसन्देह डॉ राहुल अवस्थी जी अपनी जगह बहुत चर्चित रहे होंगे।पर मैंने उनके दार्शनिक पृष्ठभूमि पर सृजित गीत पहली दफा सुनें,उन्हें पूरे मन से आज भी सराहने का मन होता है।इसी तारतम्य में जहाँ एक ओर वरिष्ठ नवगीतकार Gulab Singh जी,गुलाब सिंह जी,माहेश्वर तिवारी जीMaheshwar Tiwari ,डॉ सुभाष वसिष्ठ जी dr Subhash Vasishthaजी,कुमार शिव जी Kumar Shiv जी,डॉ जगदीश व्योम जी,dr Jagdish Vyom जी, डॉराजेन्द्र गौतम जी,ख्यात समालोचक और नवगीतकार वीरेंद्र आस्तिक जी, दिल्ली से भारतेंदु मिश्र जी,जमशेदपुर बिहार से,शांतिसुमन जी, सीमा अग्रवाल जी,बेगूसराय से Rahul Shivay जी, Garima Pandey जी,बैंगलोर से गरिमा सक्सेना Garima Saxenaजी,शाहजहांपुर से अभिषेक औदिच्य जी,लखनऊ से संध्या सिंह जी वाराणसी से ओम धीरज जी,कानपुर यू.पी.से अवध बिहारी श्रीवास्तव जी विनोद श्रीवास्तव जी,Vinod Srivastava जी, Jairam Jay जी,अनुज अरुण तिवारी जी,गाजियाबाद से जगदीश जैन्ड 'पंकज' जी इलाहाबाद से यश मालवीय Yash Malviya जी, होशंगाबाद से Vinod Nigam जी और भोपाल से डॉ रामवल्लभ आचार्य जी RV Acharya जी और Mamta Bajpai जी,की प्रस्तुतियों ने मन मोह लिया।
वहीं,दूसरी पूर्णिमा वर्मन जी और राकेश खंडेलवाल जी जो सात समंदर पार से आते हैं, की प्रस्तुतियों ने भी कम सम्मोहित नहीं किया।कुल मिलाकर ऐसी गम्भीर रचनाओं का पाठ इससे पहले मैंने अपने जीवनकाल में नहीं सुना।समग्रतः कहा जा सकता है कि शिवोहम साहित्यिक पेज अपनी प्रस्तुतियों के कारण ही सबका चहेता बन गया।
अब तक देश विदेश के रचनाकारों को गिनें तो कुल जमा अपनी 78 प्रस्तुतियों को यह मंच अपने खाते में दर्ज करा चुका है। ऐसा नहीं कि यहाँ सिर्फ वरिष्ठ रचनाकारों को ही वरीयता दी गयी।आयुवर्ग से घटते क्रम में देखें तो 94 साल के वयोवृद्ध श्रद्धेय यतीन्द्रनाथ राही जी Yatindranath Rahi जी,से लेकर 28 वर्ष तक के युवतम रचनाकारों को आज भी पेज की रिकॉर्डेड प्रस्तुतियों में लाइव देखा और सुना जा सकता है।
नवगीत के शोधार्थियों को विपुल सामग्री प्रदान करने में यह मंच सक्षम है।निःसन्देह भविष्य में नवगीत के शोधार्थी यहाँ की सामग्री से लाभान्वित होंगे।
इस पूरे उपक्रम में सबसे सक्रिय और सराहनीय भूमिका रही उनके नाम क्रमशः Amit Tiwari जी,डॉ भावना तिवारी जी और उनके सहयोगी और संस्था के सांस्कृतिक सचिव विश्वनाथ विश्व जी की रही,शिवोहम की इस पूरी टीम को सारे देश और विदेश के लोगों का स्नेह और सहयोग मिला।प्रिया राठी के आकर्षक पोस्टर और उसकर विश्वनाथ विश्व जी की टिप्पणी के महत्व की चर्चा किये बिना बात पूरी नहीं होगी।
आज भी शाम के छह बजते ही मोबाइल की स्क्रीन पर उँगलियों कई बार शिवोहम टाइप करने को मचल उठतीं हैं।
"लव यू शिवोहम"
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मैं पुनः शिवोहम की टीम विराम के बाद दूसरे चरण की आगामी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए शुभकामनाएँ और अग्रिम बधाइयाँ प्रेषित करता हूँ।
जल्द ही शिवोहम साहित्यिक मंच अपनी गतिविधियों के दूसरे चरण से आपको अवगत कराने जा रहा है।
शुभकामनाएँ
प्रस्तुति
मनोज जैन
106,विठ्ठल नगर
लालघाटी गुफामन्दिर रोड़
भोपाल
462030