मंगलवार, 14 मई 2024

प्रदीप दुबे दीप के नवगीत प्रस्तुति वागर्थ ब्लॉग


 प्रदीप दुबे दीप जी के तीन नवगीत
_____________________
1
प्रिया तुम्हारे बाल...

बहुत कीमती,पर तुम इनको
रखतीं नहीं संभाल
टूट-टूट कर बिखरा करते
प्रिया!.तुम्हारे बाल.

साथ हवा के दौड़ लगाते
पकड़ नहीं आते हैं
सोफा, मेज, पलॅग के नीचे
जाकर छुप जाते हैं
उड़ कर थाली तक चख लेते
बनी कौन सी दाल?

जब तुम शुरू-शुरू में आई
रहते थे बिस्तर में
अब बेखटके घूमा करते
चौका,पूजाघर में
चुपके से बैठक हथियाली
हथियाया है हाल.

पर,इनसे क्या करें शिकायत
ये,अपने वाले हैं
जिन्हें देख कर रीझे थे हम
वे मोहक जाले हैं
राम करें ये रहें सलामत
कभी न हों कंगाल.
______________________
 2*
बी. पी.की गोली-

तुम जब गाँव गई,चूल्हे ने
आँख नहीं खोली
नहीं कुकर का शोर मचा न
सीटी ही बोली.

झाड़ू थकती रही रोज ही
बस बैठक में चल कर
जमती रही धूल चीजों पर
दबे पांव घुस-घुस कर
गुपचुप बैठी रही जगह पर
बरतन की टोली.

लेटी रही पलंग पर चादर
अपने पैर सिकोड़े
बात नहीं कर पाए,आपस में
तकिए के जोड़े
सोए तो पर,भरा न पाई
नींदों की झोली.

प्यासी रही तुम्हारी तुलसा
डाल न पाए पानी
नहीं नहाए कृष्ण कन्हैया
भोले औघड़दानी
नहीं मिला नैवेद्य,आचमन
 चंदन न रोली.

राह देखती रहीं खिड़कियां
घूंघट ऊंचा करके
कटा समय,बुद्धू बक्से की
बस बक-बक सुन-सुनके
कभी समय पर खा न पाए
बी पी की गोली.
______________________
3
बिटिया सपने पाल रही है...

दहरी-द्वार उजाल रही है
बिटिया सपने पाल रही है.

जिम्मेदारी बड़ी हो गई
छोटी हुई हँसी की पुड़िया
भूल गई सब खेल-खिलौने
कंचा,रस्सी,गुड्डा-गुड़िया
मां से रोज मिली सीखों को
बाँधे गाँठ संभाल रही है
बिटिया सपने पाल रही है.

आज नहीं कल-आयेगा ही
कुंअर एक घोड़ी पर चढ़ के
यहीं छूट जायेगा बचपन
ले जायेगा,हाथ पकड़ के
हो जायेगी, वही पराई
जो मनभाती डाल रही है
बिटिया सपने पाल रही है.

मन में थोड़ा डरती भी है
ढेरों किस्से पढ़े, सुने हैं
दाने बाहर से चमकीले
पर भीतर से रहे घुने हैं
जिसे कहा माथे का पल्लू
वह साड़ी का फाल रही है
बिटिया सपने पाल रही है..
प्रदीप दुबे, दीप,,
_______________________
परिचय-
नाम-प्रदीप दुबे
उपनाम-दीप
जन्म तिथि -१७ फरवरी१९५६
जन्म स्थान-सांगाखेड़ा कलां तहसील- माखननगर(बाबई)
जिला-नर्मदापुरम(होशंगाबाद)
मध्यप्रदेश 
शिक्षा-स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र
गीत संग्रह,
            
फिर कुंडी खटकी है, कुछ मत पूछो बंसी भैया, आ जाया कर गांव,
  चलित वार्ता-9302786415
                  9826280437