राजेन्द्र सिंह जी के बालगीत प्रस्तुतिवागर्थ : ब्लॉग
गाता सूरज
घूम के दुनिया आता सूरज
नया सवेरा लाता सूरज
चिड़ियों की चुन चुन चुन से
सबको सदा जगाता सूरज
लाल पीला होता गरमी में
हंसता और सताता सूरज
ठंड में सबका साथी बनाकर
मीठी धूप चखाता सूरज
वर्षा में बादल के संग संग
लुकाछिपी दिखलाता सूरज
रूप बदलता खेल दिखाता
नट नागर बन जाता सूरज
लप लप करता जलता लेकिन
तम को दूर भगाता सूरज
कभी ना रुकता कभी ना थमता
श्रम के गीत सुनाता सूरज
जगमग जग को करता रहता
उत्सव रोज मनाता सूरज
मां के हाथों की रोटी सा
हमें बहुत ही भाता सूरज
।। बादल जी ।।
झूम झूम कर आना जी
बादल जल बरसाना जी
प्यासी धरती तुम्हे निहारे
अपनी प्रीत निभाना जी
ढमक ढमक ढम बजा नगाड़े
बिजली भी चमकाना जी
आसमान में तरह तरह के
लोक नृत्य दिखलाना जी
सूख गए जो ताल तलैये
इनमें जल भर जाना जी
आग में तपते सूरज दादा
शीतलता पहुंचाना जी
।। तितली ।।
बाग बाग में डोल रही है
फूलों से कुछ बोल रही है
जैसे सुंदर प्यारी कोई
दुल्हन घूंघट खोल रही है
रंग बिरंगी बदली है
तितली है यह तितली है
छम छम नाच दिखाने वाली
सबके मन को भाने वाली
हरियाली और खुशहाली के
मीठे गीत सुनाने वाली
लगता है कोई पगली है
तितली है यह तितली है
।। सरगम ।।
चिड़िया बोलीं चुन चुन चुन
कलियां बोलीं सुन सुन सुन
तितली बोलीं गुन गुन गुन
नदियां बोलीं रून झुन झुन
मेघा गरजे घन घन घन
नचे मयूरा वन वन वन
चले पवनियां सन सन सन
बरसे पानी छन छन छन
सूरज दमके दम दम दम
चंदा चमके चम चम चम
छलके चांदनी चम चम चम
किसने छेड़ी यह सरगम