रविवार, 8 दिसंबर 2024

मनोज जैन का एक बालगीत


बोलूँ मीठी वाणी
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रंग-रूप में एक सरीखे,
फिर भी क्यों है अंतर?
कोयल रानी हमें बता दो,
कोई जादू मंतर।

सुन कौए की बात प्रेम से,
बोली कोयल रानी।
खाकर मीठे आम रसीले,
बोलूँ मीठी वाणी।

खानपान से खानदान की,
बात पता चल जाती।
उसी बांस से बनी बाँसुरी,
मीठा गाना गाती।

चलो आज से एक नियम लो,
सबसे मीठा बोलो।
कुछ कहने से पहले मन में,
अपने बचन टटोलो।

सीख बाँध लो चलो गाँठ में,
प्यारे कौए भाई।
हमें देखना इन आँखों से,
है सबकी अच्छाई।

सुन कोयल की सीख सयानी,
फितरत बदल न पाया।
आसमान में उड़कर कौआ 
काँव काँव चिल्लाया।

©मनोज जैन


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