मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

कुसुम कोठारी जी के दो गीत प्रस्तुति : वागर्थ


चर्चित कवयित्री कुसुम कोठारी जी राजस्थान से आती हैं। सोशलमीडिया पर खासी सक्रिय कुसम कोठारी जी अच्छी समीक्षक हैं। ब्लॉग जगत में आप की सक्रिय रचनात्मक उपस्थिति प्रेरक है।
प्रस्तुत हैं दो गीत

एक
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आधुनिकता
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कितना पीसा कूटा लेकिन
तेल बचा है राई में
बहुओं में तो खोट भरा है
गुण दिखते बस जाई में।

हंस बने फिरते हैं कागा
जाने कितने पाप किये
सौ मुसटा गटक बिलाई
माला फेरे जाप किये
थैला जब रुपयों से भरता
खोट दिखाता पाई में।।

पछुवाँ आँधी में सब उड़ते
हवा मोल  जीवन सस्ता
बैग कांध पर अब लटकी है
गया तेल  लेने बस्ता
अचकन जामा छोड़ छाड़ कर 
दुल्हा सजता  टाई में।।

पर को धोखा देकर देखो
सीढ़ी एक बनाते हैं
बढ़ी चढ़ी बातों के लच्छे
रेशम बाँध सुनाते हैं
परिवर्तन की चकाचौंध ने
आज धकेला खाई में।।

गुण ग्राही संस्कार तालिका
आज टँगी है खूटी पर
औषध के व्यापार बढे हैं 
ताले जड़ते बूटी पर
सूरज डूबा क्षीर निधी में
साँझ घिरी कलझाई में।।

दो
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भूख और निर्धन

काले बादल निशि दिन छाये
चाबुक बरसाता काल खड़ा।
सूखी बगिया तृण-तृण बिखरी
आशाओं का फूल झड़ा।।

चूल्हा सिसका कितनी रातें
उदर जले दावानल धूरा
राख ठँडी हो कंबल मांगे
सूखी लकड़ी तन तम्बूरा
अंबक चिर निद्रा को ढूंढ़े
धूसर वसना कंकाल जड़ा।।

पोषण पर दुर्भिक्ष घिरा है
खंखर काया खुडखुड़ ड़ोले
बंद होती एकतारा श्वांसे 
भूखी दितिजा मुंँह है खोले
निर्धन से आँसू चीत्कारे
फिर देखा हर्ष अकाल पड़ा।।

आर्द्र विहिन सूखा तन पिंजर
घोर निराशा आँखे खाली
लाचारी की बगिया लहके
भग्न भाग्य की फूटी थाली
पल क्षण लगता जाने कब को 
पके बिना फल डाली सड़ा।।

परिचय:-
नाम - कुसुम कोठारी । 
उपनाम 'प्रज्ञा'।
शिक्षा- राजस्थान विश्व विद्यालय से स्नातक।
रुचि-कविता,लेख, कहानियाँ लघुकथा लिखना, प्रकृति पर लेखन पहली पसंद।
ब्लाॅग-मन की वीणा।
फ़ेसबुक पर नियमित रचनाएँ प्रेसित।
क़रीब सात साल से लेखन कार्य में - स्वांत सुखाय लेखन और
छंदबद्ध लेखन में रुझान, दोहा, सौरठा, रोला, कुण्ड़लिया, चौपाई, घनाक्षरी, सवैया सहित विभिन्न छंद , गीतिका, मुक्तक, गीत, नवगीत आदि विधाओं में लेखन।

प्रकाशित पुस्तकें :-एकल संग्रह
१."मन की वीणा कुंडलियाँ"
२."मन की वीणा नवगीत-गीत सौरभ।
प्रकाशित साझा संग्रह: 
१.अंजुमन ।
२.मधुकर ‌।
३.झरोखा ।
४.गीत गूँजते हैं ।
५.विज्ञात नवगीत माला ।
६.नन्ही फुलवारी ।
७.ये कुण्डलियाँ बोलती है।
८ गुँजन ( हाइकु विधा ) ।
९ विज्ञात बेरी छंद सौ छंद
१० विज्ञात के साक्षात्कार में साक्षात्कार।
११ अक्षय गौरव ई-पत्रिका में कहानी" माँ का मन" ।
१२ काव्य रश्मियाँ।
email :
kusumdevikothari@gmail.com