अपनों से नाता जोड़ो
अब शाला में नहीं पढ़ाई
मुन्नू खाओ गप्प मिठाई।
मुनिया क्यों रहती हो रूठी
और करती क्यों है ढिठाई।
कोरोना आया महामारी
क्या करेगी जनता बेचारी
छुट रहे हैं सब नाते-रिश्ते
खत्म हो गई, दुनियादारी।
कहते हैं सब रहो दूर-दूर
और मुँह पर मास्क लगाओ
सुरक्षित होगा जीवन अपना
कोरोना को सदा डराओ।
इसीलिए कहता हूँ मुनिया
रूठा-राठी तुम भी छोड़ो
जीवन बहुत महत्वपूर्ण है
अपनों से तुम नाता जोड़ो।
मुन्नू रार मचाये जब -जब
आकर हमको तुम बतलाना।
कभी जिद्द मत करना तुम
हँसना और खूब मुस्काना।
-बलदाऊ राम साहू
देखो जी अब सूरज आया
धूप सुबह चुपके से आयी
दादा आकर हमें जगाये
देखो जी अब सूरज आया।
मुर्गों ने भी अलख जगाया
चिड़ियों ने जी भरकर गाया
देखो जी अब सूरज आया।
मुस्काते पनिहारिन आई
कुएँ का यह जगत हर्षाया
देखो जी अब सूरज आया।
मुन्नू दौड़े - दौड़े आया
दादा को उसने बतलाया
देखो दादा लंबी छाया।
देखो जी अब सूरज आया।
-बलदाऊ राम साहू
शिशु-गीत
मेरी गुड़िया
देखो अम्मा मेरी गुड़िया
अम्मा-अम्मा मुझे बुलाती।
जब मैं उसको थपकी देती
वह अपनी आँखें मटकाती।
पें-पें कर रोती है हरदम
और कभी चुप हो जाती है
तुमको कहती दादी अम्मा
लोरी सुनकर सो जाती है।
अम्मा-अम्मा मेरी गुड़िया
को, एक फ्राक बनवा देना
उस पर तुम कुछ नन्हे तारें
चमकीले हों, टकवा देना।
-बलदाऊ राम साहू
बाल कविता
सूरज आ जाता
रोज नया सूरज आ जाता
आभा नवीन वह दिखलाता।
पंछी आते, शोर मचाते
तरह - तरह के गीत सुनाते।
ठंडी बहती है पुरवाई
समझो दिन अब निकला भाई।
चलो-चलो अब उठ भी जाओ
पढ़ना है शाला तुम जाओ।
-बलदाऊ राम साहू
बाल गीत
चुन्नु, मुन्नु, मुनिया आओ,
नन्हे सुंदर पौध लगाओ।
पौधे जब लहलहाएँगे,
प्यारे फूल खिल जाएँगे।
मँडराएँगे भौंरे उन पर,
तितली भी आएँगी उड़कर।
फूलों से महकेगा आँगन,
हर्षित होगा सबका तन-मन।
गुड़िया देखकर ललचाएगी,
चुपके से तोड़ ले जाएगी।
-बलदाऊ राम साहू
नन्हे राही
पूछ रहा था मुझसे नानू
चाँद कहाँ से आया होगा
औ' सितारों को आसमाँ में
जाने कौन फैलाया होगा।
रोज सवेरे पूरब में ही
सूरज कैसे आ जाता है
और शाम को जाने क्यों वह
पश्चिम में ही सो जाता है।
जाने कैसे सीखा होगा
कोयल ने यह नया तराना
औ' पंछी से पूछें तो हम
कैसे वे सीखे हैं गाना।
कैसे दिशा बदलती होगी
शीतल पवन और पुरवाई
इन पहेलियों को बूझ कर
चतुर कहाएँ नन्हे राही।
-बलदाऊ राम साहू
क्रिसमस का त्यौहार
रानू, शानू, भोलू आओ
पोनी, मोनी, जूली आओ।
आओ राजू, बबलू आओ
खुशी-खुशी त्यौहार मनाओ।
क्रिसमस का त्यौहार है प्यारे
जड़े हुए हैं देखो सितारे
झूम कर आई है खुशियाली
लगता है जैसे दीवाली।
माँ - बापू के सँग जाएँगे
कुछ ना कुछ लेकर आएँगे
दादी - दादा हमें प्यार से
कपड़े तो कुछ दिलवाएँगे।
सांता क्लाज़ आएंगे भाई
उपहार वह लाएंगे भाई
बच्चों को वह प्यार जताते
इसीलिए तो हर साल आते।
-बलदाऊ राम साहू
प्यारी नानी
गुस्सा छोड़ो प्यारी नानी
कहो न तुम कथा-कहानी
मेघ कहाँ से लाता होगा
भर-भर कर इतना पानी।
चंदा मामा दूर-दूर क्यों
हमदम हमसे रहते हैं
आसमान से सूरज दादा
आकर क्यों वह तपते हैं।
हमको तुम बतलाओ नानी
कलियाँ कैसे खिल आतीं
और बाग में तितली रानी
आकर क्यों रस पी जाती।
बोलो - बोलो, बोलो नानी
सागर जल क्यों है खारा
औ' बादल भैया जाने क्यों
दे जाता है पानी सारा।
-बलदाऊ राम साहू
प्यारे बच्चे हैं
मन से जो भी सच्चे हैं
वे सब अच्छे-अच्छे हैं।
जो हरदम मुस्काते है
प्यारे - प्यारे बच्चे हैं।
दूसरों की करें भलाई
वे फूलों के गुच्छे हैं।
मिहनत से आगे आते
वे ही बच्चे अच्छे हैं।
बाधाओं से घबराएँ
समझो वे अधकच्चे हैं।
झूठ बोलने वाले ही
हरदम खाते गच्चे हैं।
-बलदाऊ राम साहू
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