अंतरा में एक गीत
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पहली-पहली बार
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थरथर थरथर,लगी काँपने,
नई-नई सरकार।
हुआ नई संसद में ऐसा,
पहली-पहली बार।
जनता की आवाज़ उठी तो,
हुआ बहुत हंगामा।
सकते में आ गए धुरंधर,
काका ताया मामा।
गिरेबान में लगे झाँकनें,
रंग में रंगे सियार।
बाबा बोले मेरे मुख से,
जनता बोल रही है।
कच्चे-चिट्ठे पोल-पट्टियाँ
मिलकर खोल रही है।
कर रक्खा है तुम लोगों ने,
संसद को बीमार।
मुद्दे सब धर दिए ताक पर,
राम राग भर गाया।
दे दो इन प्रश्नों के उत्तर,
नया दौर अब आया।
सुनकर काँपे राजा मंत्री,
राहू की ललकार।
सुनो, सभापति हमें बचाओ,
बोले महाबली जी।
कल तक अच्छे खाँ की जिनके,
आगे नहीं चली जी।
फीकी हँसी पड़ी राजा की,
दिखे बहुत लाचार।
हिन्दू-हिन्दू मन्दिर-मन्दिर,
गाल बजाना छोड़ो।
नई दिशा दो युवा शक्ति को,
रोजगार से जोड़ो।
स्रोत निकालो कोई जल्दी
फूटे जीवनधार।
मनोज जैन
02/07/24
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