कर आता हूँ चारोंधाम
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बिल्ला बोला
एक अनाम।
पैग लगा कर आता हूँ।
बिल्ली को बहलाता हूँ।
ऑन लाइन हर वक़्त दिखूँ,
करता नहीं कभी कुछ काम।
मनमाफ़िक जो चलें नहीं,
हैं सबके सब नमक हराम।
बिल्ला बोला
एक अनाम।
सोच रहा हूँ कल बदलूँ।
नेता बनकर दल बदलूँ।
मंत्रीपद की चाहत में,
हो जाएगा थोड़ा नाम।
इधर-उधर की बातों में
छूट गया हाथों से जाम।
मैं हूँ बिल्ला,
एक अनाम।।
अनगिन मैंने जाप किए।
नौ सौ चूहे साफ किए।
चौथापन है मेरा अब,
जीवन की ढ़लनी है शाम।
सोच रहा हूँ में कब से
कर आता हूँ चारों धाम।
बिल्ला बोला
एक अनाम।
चला चली की बेला है।
सबने दिल से खेला है।
जीवन दर्शन कहता है,
सब हैं झूंठे सच्चे राम।
चिंतन से सिर भारी है,
लगा रहा हूँ झण्डू वाम।
बिल्ला बोला
एक अनाम।
मनोज जैन
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