संक्षिप्त परिचय
ज्ञानचंद मर्मज्ञ :
जन्म: 26 अगस्त 1959
जन्म स्थान: सैदपुर,
जिला: ग़ाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश )
शिक्षा: बी.ई. इलेक्ट्रॉनिक्स !
सम्प्रति: साहित्य सृजन एवं अहिन्दी भाषी क्षेत्र कर्नाटक में हिंदी का प्रचार प्रसार !
साहित्यिक परिचय :
1. वर्ष 1986 से अहिन्दी भाषी राज्य कर्नाटक में हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु समर्पित।
2. बनारस की रसमयी धरती के पास स्थित एक छोटे से कस्बे सैद्पुर में जन्मे श्री ज्ञानचंद मर्मज्ञ
समकालीन कविता के एक अमूल्य हस्ताक्षर के रूप में जाने जाते हैं।
3. जन्म से भारतीय, शिक्षा से अभियंता, रोजगार से उद्यमी और स्वभाव से कवि एवं लेखक श्री
ज्ञानचंद मर्मज्ञ अपेक्षाकृत कम हिन्दी भाषी क्षेत्र बेंगलुरु में राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रचार प्रसार और
विकास के साथ साथ स्थानीय भाषा के साथ समन्वय के लिए सतत प्रयत्नशील हैं।
4. अनेक टी वी चैनलों एवं आल इंडिया रेडियो के केंद्रों से सामाजिक सरोकारों व राष्ट्रीय भावना से
जुडी कवितायेँ व साक्षात्कार प्रसारित।
5. लगभग 3 दशकों से लेखन में सक्रिय। राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में कवितायेँ व लेख
प्रकाशित।
6. हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु अनेक राष्ट्रीय कार्यक्रमों में सहभागिता।
विशेष उपलब्धियाँ :
1. भारत सरकार के प्रसार मंत्रालय द्वारा बैंगलोर टेलीकॉम डिस्ट्रिक्ट, बैंगलोर के सलाहकार समिति
के सदस्य के रूप में मनोनीत।
2. विदेश मंत्रालय द्वारा मॉरीशस में आयोजित ११ वें विश्व हिंदी सम्मेलन में सरकारी प्रतिनिधि के
रूप में सहभागिता।
3. मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 2016 में उज्जैन महाकुंभ में आयोजित सिंहस्थ के दौरान स्त्री विमर्श
में सहभागिता हेतु आमंत्रित।
4. निबंध ; कबूतर की व्यथा; और ;काश, हम थोड़ा इंसान बन पाए होते; बैंगलोर विश्वविद्यालय के
स्नातक के पाठ्यक्रम में शामिल किये गए हैं।
5. निबंध ; बुधिया वापस कब आएगा” रेवा विश्वविद्यालय, बैंगलोर के पाठ्यक्रम में सम्मिलित है।
6. निबंध:; प्यारे मंगल भईया ; रत्नावेल सुब्रमणियम कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स एंड साइंस, सुलूर,
कोयम्बटूर (तमिल नाडु) के यूजी कोर्स पार्ट 1 हिंदी पाठ्यक्रम में सम्मिलित।
7. निबंध ;सपने सच भी होते हैं ; बैंगलोर यूनिवर्सिटी के 2019 से लागू बी.सी.ए. पाठ्यक्रम में
शामिल।
8. निबंध ;बेंच की संवेदना ; बैंगलोर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के 2019 से लागू बी. सी. ए. के पाठ्यक्रम में
सम्मिलित है।
9. कविता ; आओ बात करें बस हिंदुस्तान की” और “नए सृजन की बात करो” बैंगलोर
विश्वविद्यालय द्वारा संचालित स्वायत्त विश्वविद्यालय ;सी एम आर इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट के
पाठ्यक्रम में सम्मिलित किये गए हैं। इसी विश्वविद्यालय के 2020 के हिंदी पाठ्यक्रम में कविता ;
मैं दीपक हूँ जलूँगा; और ;बेसहारा छोड़ आये गांव ; भी सम्मिलित किये गए हैं।
10. कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में जागरूकता पैदा करने हेतु अनेक मंचों से काव्य पाठ।
11.. हिंदी के विकास व प्रचार-प्रसार में सराहनीय योगदान हेतु नराकास ( उपक्रम) बेंगलुरु के अलावा
अनेक राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
प्रकाशित पुस्तकें :
मिट्टी की पलकें : काव्य संग्रह
संभव है : निबंध संग्रह
बालमन का इंद्रधनुष : बाल कविताओं का संग्रह
खूँटी पर आकाश : निबंध संग्रह
उन्मुक्तिका : दोहा एवं मुक्तक संग्रह
भोर की प्रस्तावना : गीत संग्रह
संपादन : साहित्य साधक मंच, मासिक साहित्यिक पत्र ( KARHIN /2017/74053)
संस्थापक अध्यक्ष : साहित्य साधक मंच (पंजीकृत),बंगलुरु : हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु प्रतिवद्ध
संस्था।
पूर्व अध्यक्ष : लायंस क्लब ऑफ सरक्की , बंगलुरु : सामाजिक कार्यों हेतु समर्पित अंतर्राष्ट्रीय संस्था
इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ़ लायंस क्लब्स की इकाई।
सम्मान एवं पुरस्कार
निबंध संग्रह "संभव है " को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ,लखनऊ द्वारा बाबू गुलाब राय सर्जना
पुरस्कार के अलावा विद्या वाचस्पति, भाषा-भूषण, कलम कलाधर, कीर्ति-भारती , राष्ट्र-गौरव, साहित्य
गौरव, पंडित हज़ारी प्रसाद द्विवेदी एवं दुष्यंत कुमार साहित्य सम्मान जैसे अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों
से सम्मानित।
अनेक बैंकिंग, पब्लिक-सेक्टर उपक्रम, केंद्रीय सरकारी विभाग और शिक्षण संस्थाओं द्वारा अभिनन्दन।
(सम्मान की विस्तृत सूची अलग से संलग्न है)
ज्ञानचंद मर्मज्ञ
No. 13, 3rd Cross, K.R. Layout,
6th Phase, J.P. Nagar,
Bangalore-560078
Mob: +91 9845320295
mail id: marmagya.g@gmail.com
जन्म: 26 अगस्त 1959
जन्म स्थान: सैदपुर,
जिला: ग़ाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश )
शिक्षा: बी.ई. इलेक्ट्रॉनिक्स !
सम्प्रति: साहित्य सृजन एवं अहिन्दी भाषी क्षेत्र कर्नाटक में हिंदी का प्रचार प्रसार !
साहित्यिक परिचय :
1. वर्ष 1986 से अहिन्दी भाषी राज्य कर्नाटक में हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु समर्पित।
2. बनारस की रसमयी धरती के पास स्थित एक छोटे से कस्बे सैद्पुर में जन्मे श्री ज्ञानचंद मर्मज्ञ
समकालीन कविता के एक अमूल्य हस्ताक्षर के रूप में जाने जाते हैं।
3. जन्म से भारतीय, शिक्षा से अभियंता, रोजगार से उद्यमी और स्वभाव से कवि एवं लेखक श्री
ज्ञानचंद मर्मज्ञ अपेक्षाकृत कम हिन्दी भाषी क्षेत्र बेंगलुरु में राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रचार प्रसार और
विकास के साथ साथ स्थानीय भाषा के साथ समन्वय के लिए सतत प्रयत्नशील हैं।
4. अनेक टी वी चैनलों एवं आल इंडिया रेडियो के केंद्रों से सामाजिक सरोकारों व राष्ट्रीय भावना से
जुडी कवितायेँ व साक्षात्कार प्रसारित।
5. लगभग 3 दशकों से लेखन में सक्रिय। राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में कवितायेँ व लेख
प्रकाशित।
6. हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु अनेक राष्ट्रीय कार्यक्रमों में सहभागिता।
विशेष उपलब्धियाँ :
1. भारत सरकार के प्रसार मंत्रालय द्वारा बैंगलोर टेलीकॉम डिस्ट्रिक्ट, बैंगलोर के सलाहकार समिति
के सदस्य के रूप में मनोनीत।
2. विदेश मंत्रालय द्वारा मॉरीशस में आयोजित ११ वें विश्व हिंदी सम्मेलन में सरकारी प्रतिनिधि के
रूप में सहभागिता।
3. मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 2016 में उज्जैन महाकुंभ में आयोजित सिंहस्थ के दौरान स्त्री विमर्श
में सहभागिता हेतु आमंत्रित।
4. निबंध ; कबूतर की व्यथा; और ;काश, हम थोड़ा इंसान बन पाए होते; बैंगलोर विश्वविद्यालय के
स्नातक के पाठ्यक्रम में शामिल किये गए हैं।
5. निबंध ; बुधिया वापस कब आएगा” रेवा विश्वविद्यालय, बैंगलोर के पाठ्यक्रम में सम्मिलित है।
6. निबंध:; प्यारे मंगल भईया ; रत्नावेल सुब्रमणियम कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स एंड साइंस, सुलूर,
कोयम्बटूर (तमिल नाडु) के यूजी कोर्स पार्ट 1 हिंदी पाठ्यक्रम में सम्मिलित।
7. निबंध ;सपने सच भी होते हैं ; बैंगलोर यूनिवर्सिटी के 2019 से लागू बी.सी.ए. पाठ्यक्रम में
शामिल।
8. निबंध ;बेंच की संवेदना ; बैंगलोर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के 2019 से लागू बी. सी. ए. के पाठ्यक्रम में
सम्मिलित है।
9. कविता ; आओ बात करें बस हिंदुस्तान की” और “नए सृजन की बात करो” बैंगलोर
विश्वविद्यालय द्वारा संचालित स्वायत्त विश्वविद्यालय ;सी एम आर इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट के
पाठ्यक्रम में सम्मिलित किये गए हैं। इसी विश्वविद्यालय के 2020 के हिंदी पाठ्यक्रम में कविता ;
मैं दीपक हूँ जलूँगा; और ;बेसहारा छोड़ आये गांव ; भी सम्मिलित किये गए हैं।
10. कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में जागरूकता पैदा करने हेतु अनेक मंचों से काव्य पाठ।
11.. हिंदी के विकास व प्रचार-प्रसार में सराहनीय योगदान हेतु नराकास ( उपक्रम) बेंगलुरु के अलावा
अनेक राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
प्रकाशित पुस्तकें :
मिट्टी की पलकें : काव्य संग्रह
संभव है : निबंध संग्रह
बालमन का इंद्रधनुष : बाल कविताओं का संग्रह
खूँटी पर आकाश : निबंध संग्रह
उन्मुक्तिका : दोहा एवं मुक्तक संग्रह
भोर की प्रस्तावना : गीत संग्रह
संपादन : साहित्य साधक मंच, मासिक साहित्यिक पत्र ( KARHIN /2017/74053)
संस्थापक अध्यक्ष : साहित्य साधक मंच (पंजीकृत),बंगलुरु : हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु प्रतिवद्ध
संस्था।
पूर्व अध्यक्ष : लायंस क्लब ऑफ सरक्की , बंगलुरु : सामाजिक कार्यों हेतु समर्पित अंतर्राष्ट्रीय संस्था
इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ़ लायंस क्लब्स की इकाई।
सम्मान एवं पुरस्कार
निबंध संग्रह "संभव है " को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ,लखनऊ द्वारा बाबू गुलाब राय सर्जना
पुरस्कार के अलावा विद्या वाचस्पति, भाषा-भूषण, कलम कलाधर, कीर्ति-भारती , राष्ट्र-गौरव, साहित्य
गौरव, पंडित हज़ारी प्रसाद द्विवेदी एवं दुष्यंत कुमार साहित्य सम्मान जैसे अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों
से सम्मानित।
अनेक बैंकिंग, पब्लिक-सेक्टर उपक्रम, केंद्रीय सरकारी विभाग और शिक्षण संस्थाओं द्वारा अभिनन्दन।
(सम्मान की विस्तृत सूची अलग से संलग्न है)
ज्ञानचंद मर्मज्ञ
No. 13, 3rd Cross, K.R. Layout,
6th Phase, J.P. Nagar,
Bangalore-560078
Mob: +91 9845320295
mail id: marmagya.g@gmail.com
प्रिय भाई मनोज जी, वागर्थ के समृद्ध पटल पर मेरा परिचय प्रकाशित करने के लिए आपका एवं वागर्थ समूह का बहुत बहुत आभार ।
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