चर्चित कवि महेश कटारे सुगम जी का एक लोकप्रिय गीत
प्रस्तुति
वागर्थ ब्लॉग
बेशक घोषित करो छंद को मरा हुआ
पर कविता के प्राण छंद में बसते हैं।
एक सदी होने को आई है लेकिन ,
गद्य काव्य को खड़ा नहीं कर पाये हो
खूब पिलाये पोषक तत्व बहुत से पर
उसके कद को बड़ा नहीं कर पाये हो
माना साज़िश हुई छंद के साथ मगर
लोक अभी तक लय छंदों में हँसते हैं।
इतने वर्षों बाद बता तो दो मुझको
गद्य काव्य की पैठ दिलों में कितनी है।
गद्य काव्य से पाट दिया बाज़ारों को,
लेकिन वह अब भी ठिगनी की ठिगनी है।
गद्य काव्य कितने लोगों को याद हुआ
गद्य काव्य को कितना लोक समझते हैं।
खूब शाब्दिक अय्याशी कर डाली पर,
संस्कार छंदों के नहीं मिटा पाये।
लोक आज भी हँसता गाता छंदों में
गद्य काव्य से रिश्ते नहीं बना पाये।
लोक नहीं स्वीकारे जब तक बोलो
दिल के शिखर कलश कैसे बन सकते हैं।
लय छंदों से मुक्ति चाहने वालों को,
कवि कहने की चाहत को तजना होगा।
गद्य लिखो पूरी स्वतंत्रता है उसमें,
कवि को लय अनुशासन में चलना होगा।
कविता कर्म मज़ाक नहीं न सुविधामय,
शब्द अर्थ की तेज़ धार पर चलते हैं। ..
गद्य काव्य भी गेय हुआ करता था पर,
अब तो लय भी गद्य काव्य से बाहर है।
शुद्ध गद्य को कविता जो भी बता रहे,
साफ साफ उनका मंतव्य उजागर है।
यश लोलुपता काव्य कर्म को लील रही,
यश के सारे सूत्र इस तरह सस्ते हैं।
महेश कटारे सुगम
कवि
परिचय
नाम-महेश कटारे "सुगम"
जन्म.. 24 जनवरी 1954 में ललितपुर जिले के पिपरई गाँव में.
प्रतिष्ठित हिंदी पत्र पत्रिकाओं हंस, नया ज्ञानोदय, इंडिया टुडे,
इन साइड इंडिया,साक्षात्कार, प्रयोजन,कला समय, कथादेश, वीणा,अविलोम,इंगित,निकट, अभिव्यक्ति,संविदा, साहित्य भारती, म. प्र.विवरणिका,
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कहानियाँ मासिक चयन, कथाबिंब,सुमन सौरभ, पराग,लोटपोट,बाल भारती,
अच्छे भैया,देवपुत्र, चकमक आदि में रचनाएँ प्रकाशित.
प्रकाशन.....
उपन्यास
रोटी पुत्र
कहानी संग्रह
1.....प्यास.
2......फसल
कविता संग्रह
पसीने का दस्तख़त.
नवगीत संग्रह
तुम कुछ ऐसा कहो.
बाल गीत संग्रह
हरदम हंसता गाता नीम.
लंबी कविता
1....वैदेही विषाद.
2.......प्रश्न व्यूह.
ग़ज़ल संग्रह
आवाज़ का चेहरा, दुआएँ दो दरख़्तों को, सारी खींचतान में फ़रेब ही फ़रेब है, आशाओं के नये महल, शुक्रिया, अयोध्या हय हय, ख़्वाब मेरे भटकते रहे, कुछ तो है, ऐसी तैसी, ला हौल बला कुब्बत,प्रतिरोधों के पर्व.
बुंदेली गजल संग्रह
गाँव के गेंवड़े, बात कैसे दो टूक कका जू, अब जीवे कौ एकई चारौ, कछू तौ गड़बड़ है, सुन रये हौ.
ग़ज़ल गलियारा सीरीज़ के पांच ग़ज़ल संकलन संपादित
संपादन
महेश कटारे "सुगम "का रचना संसार.(डाॅ.संध्या टिकेकर) .
महेश कटारे " सुगम " की श्रंगारिक ग़ज़लें ( प्रवीन जैन) .
सम्मान..... हिंदी अकादमी दिल्ली सहभाषा सम्मान,जनकवि मुकुट बिहारी सरोज सम्मान ग्वालियर (म.प्र.),स्पेनिन सम्मान रांची ( झारखंड),जनकवि नागार्जुन सम्मान गया ( बिहार) , लोकभाषा सम्मान दुष्यंत संग्रहालय भोपाल ( म. प्र.) गुंजन साहित्य सदन जबलपुर म.प्र. द्वारा लोक साहित्य अलंकरण सहित अनेक महत्वपूर्ण संस्थाओं द्वारा सम्मानित.
पुरस्कार
कमलेश्वर स्मृति कथा पुरस्कार (कथा बिंब) मुंबई
रामनारायण शास्त्री (स्वदेश) कथा पुरस्कार म. प्र.
उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में सम्मिलित.
कुछ विश्वविद्यालयों से शोध
पता-काव्या चंद्रशेखर वार्ड, माथुर कालोनी बीना, जिला सागर, म. प्र. पिन 470113
मोबाइल नम्बर-9713024380
मेल आईडी- prabhatmybrother@gmail.com
कवि महेश कटारे सुगम जी का परिचय एवं उनकी चिंतन शील रचना प्रस्तुति हेतु धन्यवाद
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