गुरुवार, 15 दिसंबर 2022

एक नवगीत

कीर्तिशेष महेश अनघ जी का एक नवगीत


राजी राजी या नाराजी 
राज करेंगे राजा जी ।

जब से होश सम्हाला हमने
इतना ही संदेश मिला है।
मंदिर मसजिद बैसाखी हैं 
सबका मालिक लाल किला है।
        चाहे छाती जोड़ें चाहे
         लाठी भांजें बामन-काजी।
          राज करेंगे राजा जी।
चाहे जिस पर मुहर लगा दें
इतनी है हमको आजादी ।
उनको वोट मिलेंगे दो सौ
पौने दो सौ की आबादी । 
        टका सेर मिलते मतदाता
         महँगी गाजर मूली भाजी ।
          राज करेंगे राजा जी ।
वे बोलेंगे सूरज निकला
हम बोलेंगे हाँजी-हाँजी ।
उनकी छड़ी चूमते रहना
हम चिड़ियाघर के चिम्पांजी।
         पानीदार अगर रहना हो
          दिल्ली से निकलें गंगाजी।
           राज करेंगे राजा जी ।
राजा जी का राज अचल हो
ब्रत रखते हम दस दिन प्यासे।
दस दिन अनशन दस दिन फाके
बाकी ग्यारह दिन उपासे ।
         यही करेंगे पोते अपने
          करते रहे यही दादा जी।
          राज करेंगे राजा जी ।

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