समूह ~।।वागर्थ।।~ प्रस्तुत करता है राजस्थान की सौंधी मिट्टी की महक में
चर्चित ब्लॉगर
अनीता सैनी दीप्ति जी के पाँच राजस्थानी गीत इन गीतों में लोक जीवन के माधुर्य को गहरे मससूस किया जा सकता है।
प्रस्तुति वागर्थ
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1.
पगलां माही कांकर चुभया
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पगलां माही कांकर चुभया
जूती बांध्य बैर पीया।
छागल पाणी छलके आपे
थकया सांध्य पैर पीया।।
कुआँ जोहड़ा ताल-तलैया
बावड़ थारी जोव बाट
बाड़ करेला पीला पड़ ग्यो
सून डागल ढ़ाळी खाट
मिश्री बरगी बातां थारी
नींद होई गैर पीया।।
धरती सीने डाबड़ धँसती
खिल्य कुंचा कोरा फूल
मृगतृष्णा मंथ मरु धरा री
खेल घनेरो खेल्य धूल
डूह ऊपर झूंड झूलस्या
थान्ह पुकार कैर पीया।।
रात सुहानी शीतल माटी
ठौर ढूंढ़ रया बरखान।
दूज चाँद सो सोवे मुखड़ो
आभ तारक सो अभिमान।
छाँव प्रीत री बनी खेजड़ी
चाल्य पथ पर लैर पीया।।
2.
भँवरजाल
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रीत-प्रीत रा उलझ्या धागा
लिपट्या मन के चारु मेर
लाज-शर्म पीढ़े पर बैठी
झाँझर-झूमर बाँधे बेर ।।
जेठ दुपहरी ओढ़ आँधी
बदरी भरके लाव नीर ।
माया नगरी राचे भूरो
छाजा नीचे लिखे पीर ।
आतो-जातो शूल बिंधतो
मरु तपे विधना रो फेर।।
टिब्बे ओट में सूरज छिपियो
साँझ करती पाटा राज
ढलती छाया धरा गोद में
अंबर लाली ढोंव काज
पोखर ऊपर नन्हा चुज्जा
पाखी झूम लगाव टेर।।
एक डोर बंध्यो है जिवड़ो
सांस सींचता दिवस ढलो
पूर्णिमा रा पहर पावणा
शरद चाँदनी साथ भलो
तारा रांची रात सोवणी
उगे सूर उजालो लेर।।
3.
मायड़ भाषा
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राजस्थान सिरमोड जड्यो
मायड़ भाषा माण सखी।।
किरणा झरतो चानणियो है
ऊँचों है सनमाण सखी।।
चाँद चांदणी ढ़ोळ्य ढ़ाँकणा
मुठ्या भर अनुराग धरे।
शब्द अलंकार छंदा माह
भाव रस रा झरणा झरे।
लोक गीत लुभावे रागणी
माट्टी रो अभिमाण सखी।।
जण-जण रे कंठा री वाणी
जातक कथाएँ काणियाँ।
इतिहास र पन्ना री शोभा
वीरांगणा रज राणियाँ।
सेना माह सपूत घणेरा
भाग बड़ो बलवाण सखी।।
भोर बुहार अंबर आँगणा
झोंका चाले पछुआ रा।
सोना चमके बालू धोरा
राज छिपावे बिछुआ रा।
मरूभूमि री बोली मीठी
प्रीत घणी धणमाण सखी।।
4.
मरवण जोवे बाट
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बीत्या दिनड़ा ढळा डागळा
भूली बिसरी याद रही।
दिन बिलखाया भूले मरवण
नवो साल सुध साद रही।।
बोल बोल्य चंचल आख्याँ
होंठ भीत री ओट खड़ा।
काजळ गाला ऊपर पसरो
मण का मोती साथ जड़ा।
काथी चुँदरी भारी दामण
माथ बोरलो लाद रही।।
पल्लू ओटा भाव छिपाया
हिय हूक उठावे साँध्या।
टूट्या तारा चुगे जीवड़ो
गीण-गीण सुपणा बाँध्या।
झालर जीया थळियाँ टाँग्या
ओल्यू री अळबाद रही।।
लाज-शर्म रो घूँघट काड्या
फिर-फिर निरख अपणों रूप।
लेय बलाएँ घूमर घाले
जाड़ घणा री उजळी धूप
मोर जड़ो है नथली लड़ियाँ
प्रीत हरी बुनियाद रही।।
5.
आंख्यां सूनी जोवे बाट
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गोधुली की वेला छंटगी
साँझ खड़ी है द्वार सखी
मन री बाताँ मन में टूटी
बीत्या सब उद्गार सखी।।
मन मेड़ां पर खड़ो बिजूको
झाला देर बुलावे है
धोती-कुरता उजला-उजला
हांडी शीश हिलावे है
तेज़ ताप-सी जलती काया
विरह कहे शृंगार सखी।।
पाती कुरजां कहे कुशलता
नैना चुवे फिर भी धार
घड़ी दिवस बन संगी साथी
चीर बदलता बारम्बार
घूम रह्यो जीवन धुरी पर
विधना रो उपहार सखी ।।
आती-जाती सारी ऋतुआँ
छेड़ स्मृति का जूना पाट
झड़ी लगी है चौमासा की
आंख्यां सूनी जोवे बाट
कोंपल जँइया आस खिलाऊँ
प्रीत नवलखो हार सखी।।
अनीता सैनी "दीप्ति"
परिचय
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नाम -अनीता सैनी 'दीप्ति'
जन्म -15 अगस्त 1985
शिक्षा - एम.ए.(हिंदी),बी.एड., पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन कम्प्यूटर एपलिकेशन्स.
लेखन विधाएँ -कविता,कहानी,लघुकथा,लेख,नाटक,संस्मरण,दोहे, नवगीत, हाइकु आदि.
प्रकाशित पुस्तक:एहसास के गुँचे (काव्य-संग्रह )
साझा संग्रह : 1.काव्य-रश्मियाँ,2.गीत गूँजते हैं, 3.झरोखा,4. नवगीत माला
5. मधुकर
अमर उजाला काव्य,अक्षय गौरव पत्रिका,लेख्य मंजूषा साहित्यिक स्पंदन,साहित्य सुधा आदि वेबसाइट एवं पत्रिकाओं में नियमित रचनाओं का प्रकाशन.
साक्षात्कार प्रकाशन:1. प्राची डिजिटल पब्लिकेशन 2020
2. मयंक की डायरी 2020
सम्मान/पुरस्कार: 1. कविता 'यथार्थ था वह स्वप्न' लेख्य मंजूषा, पटना द्वारा आयोजित काव्य प्रतियोगिता जनवरी 2020 में प्रथम स्थान,
2. लघुकथा प्रतियोगिता में 'पर उपदेश कुशल बहुतेरे' लघुकथा को द्वितीय स्थान,
3. चम्पू काव्य प्रतियोगिता अप्रैल 2021 में 'निर्वाण:मानसवी की बुद्ध से प्रीत' रचना को तृतीय पुरस्कार.
ईमेल: anitasaini.poetry@gmail.com
Website / ब्लॉग-1.गूँगी गुड़िया,2.अवदत अनीता
ब्लॉग चर्चाकार: चर्चामंच ब्लॉग
संप्रति: स्वतंत्र ब्लॉग लेखन, अध्यापन, समाज सेवा आदि.
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (२८-०१ -२०२२ ) को
'शब्द ब्रह्म को मेरा प्रणाम !'(चर्चा-अंक-४३२४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हर्षित करती हुई प्रस्तुति । हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंआपका कृतज्ञ मन से आभार!
जवाब देंहटाएंवागर्थ समूह द्वारा मेरे राजस्थानी गीतों को साझा करने हेतु सादर आभार।वागर्थ समूह का साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देना निस्संदेह सराहनीय पहल है।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंअनीता सैनी जी को उनके गूँगी गुड़िया ब्लॉग में पढ़ना होता है, आज वागर्थ पर पढ़ना बहुत अच्छा लगा....
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई उन्हें
बहुत ही सुंदर गीत..
जवाब देंहटाएंअनीता, मारवाड़ी गीतों की रचना में तुम्हारा जवाब नहीं !
जवाब देंहटाएंआंचलिकता की सौंधी महक लिए अनुपम प्रस्तुति । बहुत बहुत बधाई अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर गीत।बधाई अनीता जी।
जवाब देंहटाएंमरूधरा की सौंधी महक लिए सभी गीत बहुत आकर्षक। गीतों में मरूधरा की उजली शान, श्रृंगार के दोनों पक्ष, मरूभूमि की कठिन जीवन शैली सभी को बहुत सुंदरता से चित्रित किया है ।
जवाब देंहटाएंटटकी भाषा, ठेठ बोलचाल की शेखावाटी भाषा, शब्द चयन सभी कुछ सहज ही प्रभावित करता है।
भाव पक्ष सुदृढ़, भाव संप्रेषण प्रवाहमय गति लिए हुए।
बहुत सुंदर अभिराम गीत।
कवियत्री को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आगे भी ऐसे मनहर सृजन करती रहें।