भूमिका जैन 'भूमि" के दो गीत
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एक
कभी कभी अपनी पलकों पर
तुम मेरा सावन रख लेना
चाहे थोड़ा बेमन से ही
पर मेरा भी मन रख लेना
मुझको कोई वचन न देना
कभी न होठों से कुछ कहना
दृष्टि अगर लड़ ही जाये तो
फिर पत्थर बनकर मत रहना
उस पल अपनी आँखों में तुम
किंचित आलिंगन रख लेना
चाहे थोड़ा बेमन से ही
प्रिय मेरा भी मन रख लेना
मैं मांगूं जब नेह तुम्हारा
मन अपना अनमना न करना
मुश्किल तो होगी तुमको पर
हाथ झटककर मना न करना
कुछ बूँदें दे देना चाहे
बदले में जीवन रख लेना
चाहे थोड़ा बेमन से ही
प्रिय मेरा भी मन रख लेना
हाथ पकड़ना नहीं चाहते
मत पकड़ो,अफ़सोस नहीं है
पर इतना तो कर सकते हो
इसमें कोई दोष नहीं है
कभी कभी अपने हाथों में
मेरा ये कंगन रख लेना
चाहे थोड़ा बेमन से ही
प्रिय मेरा भी मन रख लेना
अंतिम इच्छा है जीवन की
मुझको बस ये अवसर देना
प्रेम निमंत्रण पत्र भले ही
द्वारे से वापस कर देना
पर उसमें जो आमंत्रण हो
तुम वो आमंत्रण रख लेना
चाहे थोड़ा बेमन से ही
प्रिय मेरा भी मन रख लेना
सहमत हूँ! मेरा मन रखना
इतना भी आसान नहीं है
पर ये कितना आवश्यक है
तुमको ये संज्ञान नहीं है
और न हो कुछ,तो देने को
झूठा आश्वासन रख लेना
चाहे थोड़ा बेमन से ही
प्रिय मेरा भी मन रख लेना
दो
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बरसो तो बादल हो जाना
तरसो तो मरुथल हो जाना
प्यार करो तो करना ऐसे
कम से कम पागल हो जाना
लोग मुझे घूरेंगे, उनसे
हाथापाई सहस न करना
उनकी आँखें नोच न लेना
उनसे कोई बहस न करना
बस मुझको आंखों मे रखना
या मेरा काजल हो जाना
प्यार करो तो करना ऐसे
कम से कम पागल हो जाना ।
लाख दिखावे की दुनियाँ है
तुम मत प्रेम प्रदर्शित करना
ना ख़ुद चर्चाओं में रहना
ना ही खुद को चर्चित करना
होना तो हो जाना मंदिर
तुम मत ताजमहल हो जाना
कर लेना भी बहुत सरल है
प्यार निभाना भी आसाँ है
प्यार निभाने के मस्अले में
करना केवल इतना सा है
विष का प्याला पी न सको तो
राधा की पायल हो जाना
प्यार करो तो करना ऐसे
कम से कम पागल हो जाना ।
अनबन झगड़ों से मत डरना
झगड़े अपनो से होते हैं
जिनसे खुलकर झगड़ न पायें
वो रिश्ते फंदे होते हैं
लड़ना तो लड़ लेना लेकिन
अगले पल शीतल हो जाना
प्यार करो तो करना ऐसे
कम से कम पागल हो जाना ।
जब जीवन मे मुश्किल आयें
ना घबराना, ना डरना है
हर मुश्किल को हल करने को
केवल इतना ही करना है
मैं तेरा संबल हो जाऊं
तू मेरा संबल हो जाना
प्यार करो तो करना ऐसे
कम से कम पागल हो जाना ।
कभी जो तुम गुस्सा होगे तो
मैं उसका सम्मान करूँगी
लेकिन उस पल में भी तुम पर
इतना तो अधिकार धरूंगी
मैं तुमसे आहत हो जाऊं
तो तुम भी घायल हो जाना
प्यार करो तो करना ऐसे
कम से कम पागल हो जाना ।
इच्छाओं को सीमित करना
धीरे धीरे सीख रही हूँ
बाक़ी कुछ देना, मत देना,
माँग प्रिये ये भीख रही हूँ
जब हो मेरा अस्थि विसर्जन,
तुम गंगा का जल हो जाना ।
प्यार करो तो करना ऐसे
कम से कम पागल हो जाना ।
भूमिका जैन "भूमि"
परिचय
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नाम-भूमिका जैन
उपनाम-"भूमि"
शिक्षा -स्नातकोत्तर
जन्म तिथि -21/7/1982
जन्म स्थान-मैनपुरी, (उत्तर प्रदेश)
परिवार-श्री राजेश चंद्र जैन(पिता),श्रीमती रानी जैन(माता),श्रीमान अतिन जैन(पति),
स्वस्ति जैन(पुत्री),स्वास्तिक जैन(पुत्र)
व्यक्तिगत परिचय-गृहिणी
(आकाशवाणी आगरा पर आकस्मिक उद्घोषिका के रूप मे कार्यरत)
व्यवसायिक प्रतिष्ठान -जैन इलैक्ट्रॉनिक्स एवं जैन डिजिटल स्टोर
संपर्क सूत्र-13A/P-3p,नुनिहाई,यमुना ब्रज,आगरा,उत्तर प्रदेश।282006
मोबाइल नं-8279942648,
9319325287
ईमेल आईडी-bhoomikajain68780@gmail.com
प्रकाशित कृति-"उन्वान तुम्हीं दे देना"(समग्र संग्रह)
काव्य यात्रायें-देश के कई प्रतिष्ठित मंचों से कविता पाठ।
स्थानीय तथा ग़ैर स्थानीय पत्र पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में कवितायें प्रकाशित।
ज़ी न्यूज़ एवं सुदर्शन टीवी चैनल्स पर कविता पाठ
आकाशवाणी आगरा से निरंतर रचनाओं का प्रसारण।