रविवार, 4 जुलाई 2021

कृति 'गीत यात्रा में निरन्तर' दादा विनोद निगम के कृतित्व पर एकाग्र :चर्चाकार यश मालवीय प्रस्तुति : वागर्थ ब्लॉग

सुकवि विनोद निगम की लम्बी काव्य साधना के मर्म को बेहद आत्मीय ऊष्मा से रेखांकित करते हुए डॉ कृष्णगोपाल मिश्र ने उनके काव्य व्यक्त्वि पर जो रोशनी डाली है,उससे उनका समूचा रचना-संसार ही जगमगा उठा है।विनोद जी जैसे अलबेले नवगीतकार के मूल्यांकन के लिए ऐसी ही रस भरी आलोचना की दरकार थी।डॉ मिश्र ने न केवल उनकी रचनाओं में भीतर उतरकर  एक सम्यक दृष्टि निष्पादित की है वरन हम जैसे भावक और पाठक मन को नवगीत विधा को नए सिरे से जानने और समझने के अवसर भी दिए हैं।विनोद निगम का बहुरंगी व्यक्तित्व और कृतित्व इस समीक्षा-कृति में समा सा गया है।किसी रचनाकार के लिये अपना ही साँचा और शिल्प तोड़ना बहुत दुष्कर होता है और यह काम अपनी रचना-यात्रा में निरंतर विनोद जी करते आये हैं,इसी लिए सारे लेकिन-वेकिन के बाद भी वह अपनी यात्रा जारी रख सके हैं।उनके व्यक्तित्व और कृतित्व में ही सतत यात्रा का तत्व घुला मिला है।घुमक्कड़ी उनके स्वभाव का स्थायी भाव है।उन्हें सहज ही हिन्दी गीत का राहुल सांकृत्यायन कहा जा सकता है।उनका गीत ही अविराम यात्रा का बोध कराता है।इस बोध को बखूबी पकड़ा है डॉ मिश्र की बारीक़ और गहन चिंतन दृष्टि ने।आमतौर पर आलोचनाएं अपने ही जाल में फँसकर शुष्क और नीरस हो जाती हैं,डॉ मिश्र बहुत सफ़ाई से न केवल अपने को बचा ले गए हैं,आलोचना की इस त्रासदी से वरन एक भिन्न किस्म और आस्वाद की निष्पत्ति भी की है,जिसे पढ़ते हुए पाठक मन सहज प्रवाह में बह सा जाता है।पूरी कृति में विनोद जी बोलते-बतियाते नज़र आते हैं।जितने रस भरे नवगीत विनोद जी रचते हैं,उतनी ही रस भरी समीक्षा कृति है यह।आलोचना का यह अपनापन बहुत दिनों बाद देखने को मिला,जहाँ रचना और आलोचना दोनों एकमेक हो गए हैं।इतनी सार्थक आलोचना है कि स्वतंत्र रचना का सा सुख देती है।विनोद निगम के रचनाकार को समझने का यह एक साफ़ सुथरा आइना है,जिसमें स्वयं स्पष्ट रूप वह अपना चेहरा भी देख सकते हैं।जीते जी इस प्रकार का मूल्यांकन कम ही रचनाकारों को नसीब हो पाता है।इसके लिए विनोद निगम और डॉ कृष्णगोपाल मिश्र दोनों ही बधाई के पात्र हैं।
यश मालवीय,
रामेश्वरम,
A  111,मेहदौरी कॉलोनी,,
इलाहाबाद उ प्र
06307557229

परिचय

यश मालवीय 
___________
जन्म :  18 जुलाई 1962 
          इलाहबाद विश्वविद्यालय से स्नातक 
सम्प्रति :  ए.जी. ऑफ़िस इलाहबाद ,उत्तर प्रदेश में कार्यरत 
पिता :   उमाकांत मालवीय
सम्पर्क : "रामेश्वरम ,ए - 111 मेंहदौरी कॉलोनी , इलाहबाद -211004 
            मो.-09839792402
प्रकाशित :  कहो सदाशिव , उड़ान से पहले ,एक चिड़िया अलगनी पर एक मन में ,बुद्ध मुस्कुराए , एक आग आदिम , कुछ बोलो चिड़िया , रोशनी देती बीड़ियाँ , नींद कागज की तरह (सभी नवगीत संग्रह ),कृतियां   चिनगारी के बीज ( दोहा संग्रह ) ,इण्टरनेट पर लड्डू ,कृपया लाइन में आएँ ,सर्वर डाउन है ( सभी व्यंग संग्रह ), रेनी डे ,ताकधिनाधिन (दोनों बालगीत संग्रह ). 
पुरस्कार :दो बार उ.प्र. हिन्दी 
संस्थान का निराला सम्मान , संस्थान का ही उमाकांत मालवीय पुरस्कार और सर्जना सम्मान। मुंबई का मोदी कला भारती सम्मान , नई दिल्ली से परम्परा ऋतुराज सम्मान ,शकुंतला सिरोठिया बाल साहित्य पुरस्कार। भारत रंग महोत्सव ,नई दिल्ली में नाटक ' मैं कठपुतली अलबेली , का मंचन। उदय प्रकाश की कहानी पर बनी फ़िल्म ' मोहनदास ,कर लिए गीत लेखन। 
                   पिछले साढ़े तीन दशकों से दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों से रचनाओं के प्रसारण के अतिरिक्त ,राष्ट्रीय -अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन। स्तम्भ लेखन। नवगीत के प्रमुख कवि।

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