जटा बढ़ाये एक अघोरी
करता मंत्रोच्चार
छोटे-बड़े-मझोले झोले
अगल-बगल लटकाये
सम्मोहन-मारण-उच्चाटन
जन पर रोज चलाए
नरमुंडों से कापालिक को
बेहद-बेहद प्यार
डाकिनियों का, शाकिनियों का
बढ़ा रहा उल्लास
भूत-पिशाचों की टोली को
रखता अपने पास
खूनी खप्पर भरने को यह
हरदम है तैयार
काल-रात्रि का यह पूजक है
साधे शव शमशान
भैरव और भैरवी पूजे
काँपें सब के प्राण
जाने कितनीं जानें लेगा
काला जादू मार
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