रविवार, 20 जून 2021

परिचय

उद्भ्रांत: एक परिचय

मूलतः आगरा (उ.प्र.) के एक प्रतिष्ठित सनाढ्य ब्राह्मण परिवार के वंशज कवि उद्भ्रांत का जन्म 4 सितम्बर, 1948 ई. को राजस्थान की-सेठों की हवेलियों के लिए-विख्यात नगरी नवलगढ़ में हुआ (प्रमाणपत्रों में जन्मतिथि है-छह मई, उन्नीस सौ पचास), जहाँ पिता पं. उमाशंकर शर्मा पोद्दार काॅलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे। कुछ समय बाद ही उ.प्र. लोकसेवा आयोग से श्रम अधिकारी के रूप में चयनित होकर कानपुर आने और 1958 में वहीं स्थायी आवास बना लेने के कारण उनकी स्नातकोत्तर स्तर तक की अधिकांश शिक्षा-दीक्षा कानपुर में ही हुई। बाल्यावस्था से ही वहाँ के साहित्यिक बीज-संस्कार ग्रहण करते, सभी विधाओं में लेखन करते और देश की सर्वप्रमुख पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी और दूरदर्शन के माध्यम से सातवें दशक के प्रमुख नवगीतकार के रूप में उन्होंने पहचान बनाई। सातवें दशक के उत्तरार्ध से कहानियाँ लिखना प्रारम्भ करने के बावजूद उनका विलंब से प्रकाशन होने के कारण कथाकार के रूप में पहचान आठवें दशक के प्रारंभ में बनी। निजी व सरकारी दर्जन भर नौकरियाँ करने के बाद भारतीय प्रसारण सेवा, 1990 के पहले बैच के अधिकारी के रूप में दूरदर्शन के सहायक केन्द्र निदेशक के पद से कार्य प्रारम्भ करते हुए मई, 2010 में दूरदर्शन के उप महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए। मध्य के ढाई वर्ष आकाशवाणी महानिदेशालय में भी वरिष्ठ निदेशक रहे। वर्ष 1992 में पुणे के विश्वविख्यात फिल्म एवं टेलीविज़न प्रशिक्षण संस्थान से कार्यक्रमों के निर्माण का प्रशिक्षण लिया। प्रमुख ग़ज़लगो, समकालीन कविता के कवि, आलोचक, अनुवादक और प्रबन्धकाव्य रचयिता के रूप में भी प्रसिद्ध हुए। गीति कविताओं के संग्रह ‘लेकिन यह गीत नहीं’ पर हिन्दी अकादेमी, दिल्ली के ‘साहित्यिक कृति सम्मान’, नवगीत संग्रह ‘देह चाँदनी’ पर उ.प्र. हिन्दी संस्थान का निराला पुरस्कार, पुनः ‘स्वयंप्रभा’ पर वहीं के ‘जयशंकर प्रसाद अनुशंसा पुरस्कार’ (जिसे स्वीकारा नहीं) और समग्र लेखन के लिए वर्ष 1988 में शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ पुरस्कार से सम्मानित। ‘त्रेता’ महाकाव्य पर वर्ष 2010 के लिए महाराष्ट्र का प्रतिष्ठित ‘प्रियदर्शनी सम्मान’ और ‘अनाद्यसूक्त’ पर मध्य प्रदेश सरकार की ‘साहित्य अकादेमी’ द्वारा वर्ष 2008 का ‘अखिल भारतीय भवानी प्रसाद मिश्र’ पुरस्कार। बाल-साहित्य लेखन के लिए वर्ष 1990 में अखिल भारतीय बाल-साहित्य परिषद, लखनऊ का ‘बाल-साहित्य श्री’ और वर्ष 2000 में ‘भारतीय बाल कल्याण परिषद, कानपुर’ की ओर से वहाँ के मेयर द्वारा नागरिक अभिनंदन के साथ ‘रतन लाल शर्मा स्मृति पुरस्कार’। ‘राधामाधव’ (महाकाव्य) पर वर्ष 2018 का प्रथम ‘गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य सम्मान’ 2 जून, 2018 को रूस की राजधानी मास्को में दिया गया। 
कवि की ग़ज़लों का विख्यात गायकों द्वारा गायन। लम्बी छन्द कविता ‘रुद्रावतार’ को देश में असाधारण चर्चा मिली और अंग्रेज़ी सहित दर्जन भर भारतीय भाषाओं में अनूदित होकर हिन्दी की कालजयी कविताओं में परिगणित। 15 बालोपयोगी पुस्तकों सहित 100 से अधिक कृतियाँ प्रकाशित। विभिन्न विश्वविद्यालयों के अनेक शोध छात्रों ने कवि के विविध रचनाकर्म पर आधा दर्जन एम.फिल. एवं पी.एच..डी. की उपाधियां प्राप्त कीं। सृजन के विविध स्वरूपों के संदर्भ में आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के दिल्ली, मुम्बई, लखनऊ, भुवनेश्वर, जयपुर, भोपाल, इंदौर, मुजफ्फरपुर, पटना, वाराणसी, गोरखपुर और रामपुर केन्द्रों ने कवि को केन्द्र में रखकर साक्षात्कार, वृत्तचित्र, नृत्यरूपक आदि निर्मित किये जिनकी विशेष सराहना हुई। श्रीमद्भगवद्गीता के उनके द्वारा किये गए लोकप्रिय पुनर्सृजन ‘प्रज्ञावेणु’ पर दिल्ली दूरदर्शन ने ‘प्रज्ञावेणु विमर्श’ नामक एक घंटे की अवधि का कार्यक्रम भी किया। ‘रुद्रावतार’ के कथक एवं ओडिसी शैली में दो नृत्यरूपक क्रमशः दिल्ली एवं भुवनेश्वर केन्द्रों से तथा आकाशवाणी के दिल्ली, अंबिकापुर और रीवाँ केन्द्रों से संगीत प्रस्तुतियाँ की गईं। वर्ष 2018 के अंत में दूरदर्शन के चर्चित सीरियल ‘पंखुड़ियां’ के प्रोड्यूसर योगेश कुमार ने ‘प्रज्ञावेणु’ और ‘रुद्रावतार’ के आॅडियो-विजुअल राइट्स प्राप्त करने के लिए कवि के साथ नौ लाख रुपए और सात प्रतिशत राॅयल्टी का, हिन्दी कविता के इतिहास का सबसे बड़ा करार किया-दो लाख रुपए का साइनिंग अमाउंट देते हुए।

प्रमुख पुस्तकें: ‘त्रेता’ एवं ‘अभिनव पांडव’ (महाकाव्य), ‘राधामाधव’ (प्रबन्ध काव्य), ‘स्वयंप्रभा’ एवं ‘वक्रतुण्ड’ (खण्ड काव्य), ‘अनाद्यसूक्त’ (आर्ष काव्य), ‘ब्लैकहोल’ (काव्यनाटक), ‘प्रज्ञावेणु’ (गीता का मुक्तछन्द में यथारूप पुनर्सृजन), ‘अस्ति’, ‘इस्तरी’, ‘हँसो बतर्ज़ रघुवीर सहाय’, देवदारु-सी लम्बी गहरी सागर-सी, ‘शब्दकमल खिला है’, (‘नाटकतन्त्र तथा अन्य कविताएँ’ (जिसका अंग्रेज़ी अनुवाद प्रो. आर.एन. आर्य ने किया (The Farce of Democracy & other poems) ‘काली मीनार को ढहाते हुए’ (सभी समकालीन कविताएं), ‘लेकिन यह गीत नहीं’, ‘हिरना कस्तूरी’ (नवगीत), ‘मैंने यह सोचा न था’ (ग़ज़ल, पुस्तक का श्री रामप्रसाद शर्मा ‘महर्षि’ द्वारा रूपातंरित उर्दू संस्करण भी प्रकाशित होकर फ़खरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी, उ.प्र. द्वारा पुरस्कृत-सम्मानित हुआ। ‘मैंने जो जिया’ (आत्मकथा), ‘नक्सल’ (लघु उपन्यास), ‘डुगडुगी’ (कहानियाँ), ‘उद्भ्रंात: श्रेष्ठ कहानियाँ’, ‘कहानी का सातवां दशक’, ‘मेरी प्रगतिशील काव्य-यात्रा के पगचिह्न’ (संस्मरणात्मक समीक्षा), ‘आलोचना का वाचिक’ (वाचिक आलोचना), तथा ‘आलोचक के भेस में’ एवं ‘मुठभेड’ (आलोचना), ‘समय के अश्व पर’ (गीत-नवगीत), ‘शहर-दर-शहर उमड़ती है नदी’, ‘स्मृतियों के मील-पत्थर’ और ‘कानुपर ओह कानपुर!’ (संस्मरण), ‘चंद तारीख़ें (डायरी), ‘मेरे साक्षात्कार’ (इंटरव्यू), ‘ब्लैकहोल’, ‘अनाद्यसूक्त’, ‘अभिनव पाण्डव’ और ‘राधा माधव’ के अंग्रेजी अनुवाद। ‘राधामाधव’ का ओड़िया (डाॅ. श्रीनिवास उदगाता), डोगरी (यशपाल निर्माल), उर्दू (रिफ़अत शाहीन) और छत्तीसगढ़ी (ममता अहार) अनुवाद भी प्रकाशित।

संचयन: ‘सदी का महाराग’ (चयन एवं संपादन: डाॅ. रेवती रमण) (उद्भ्रांत की बीसवीं शती में रचित कविताओं तक परिसीमित)

सम्पादन: ‘युग प्रतिमान’ (पाक्षिक), ‘युवा’, ‘पोइट्री टुडे’ (अंग्रेज़ी), पत्र ही नहीं बच्चन मित्र हैं (बच्चन जी के 121 पत्र), त्रिताल (विश्वविद्यालयों के लिए पाठ्य संकलन), लघु पत्रिका आन्दोलन और युवा की भूमिका (आलोचना)। 

सह-रचनाकार: ‘नवगीत सप्तक’ एवं ‘नवगीत अर्द्धशती’ (सं.: डाॅ. शम्भुनाथ सिंह), ‘श्रेष्ठ कहानियाँ: 1982’ (सं.: डाॅ. राकेश गुप्त, डाॅ. ऋषि कुमार चतुर्वेदी) और ‘20 कहानीकार’ (सं.: सतीश जमाली)। 

मूल्यांकन: त्रेता: एक अंतर्यात्रा (लेखक: डाॅ. आनंद प्रकाश दीक्षित), रुद्रावतार विमर्श (सं.: डाॅ. नित्यानंद तिवारी), अभिनव पाण्डव विमर्श (सं.: कर्ण सिंह चैहान), राधामाधव: राधाभाव और कृष्णत्व का नया विमर्श (सं.: कर्णसिंह चैहान), उद्भ्रांत का संस्कृति-चिंतन (ले.: नंदकिशोर नौटियाल), त्रेता विमर्श (सं.: डाॅ. द्वारिकाप्रसाद चारुमित्र), त्रेता विमर्श और दलित चिंतन (ले.: कँवल भारती), त्रेता: एक सम्यक् मूल्याकन (लेखक: दिनेश कुमार माली), राधामाधव: एक समग्र चिन्तन (लेखक: दिनेश कुमार माली), साहित्य-संवाद: केन्द्र में उद्भ्रांत (ले. अवधबिहारी श्रीवास्तव), उद्भ्रांत का काव्य: मिथक के अनुछुए पहलू (ले.: डाॅ. शिवपूजन लाल), रुद्रावतार और राम की शक्तिपूजा (सं.: डाॅ. लक्ष्मीकांत पांडेय), उद्भ्रांत की ग़ज़लों का यथार्थवादी दर्शन एवं हिन्दी ग़ज़ल का सौंदर्यात्मक विश्लेषण (दोनों पुस्तकों के लेखक: अनिरुद्ध सिन्हा), राम की शक्तिपूजा एवं रुद्रावतार (ले.: शीतल सेटे), उद्भ्रांत का बाल-साहित्य: सृजन और मूल्यांकन (सं.: डाॅ. राष्ट्रबंधु एवं जयप्रकाश भारती), कवि उद्भ्रांत: कुछ मूल्यांकन-बिंदु (सं.: ऊषा शर्मा), ‘प्रज्ञावेणु विमर्श’ (डाॅ. यतीन्द्र तिवारी)।

स्थायी पता: ‘अनहद’, बी-463, केन्द्रीय विहार, सेक्टर-51, नोएडा-201303
दूरभाष: 0120-2481530, 09818854678, 8178910658 (मो.)
ईमेल : udbhrant@gmail.com

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