सोमवार, 21 जून 2021

कवि परिचय में प्रस्तुत हैं कवयित्री मालिनी गौतम जी प्रस्तुति : वागर्थ सम्पादक मण्डल

परिचय-डॉ मालिनी गौतम

▪️ मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल झाबुआ में जन्मी  डॉ. मालिनी गौतम का बचपन आदिवासियों के बीच बीता । उज्जैन एवं इंदौर से अपनी पढ़ाई पूरी  करने के बाद सन1994 में वे गुजरात के सुदूरवर्ती आदिवासी अंचल संतरामपुर में आ बसीं। 

▪️मालिनी संतरामपुर के महाविद्यालय में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं  । एक प्राध्यापक के रुप में वे जीवन का एकमात्र लक्ष्‍य इन बच्चों को शिक्षण के साथ-साथ दुनिया जहान की जानकारी देकर, बच्चों के सर्वांगीण विकास के द्वारा उन्हें मुख्य धारा में लाना मानती है । 

 ▪️मालिनी विभिन्न एन जी ओ के साथ मिलकर सन्तरामपुर   के दूर-दराज के गाँवों में आयोजित कार्यक्रमों में अंधविश्वास, बेटी-बचाओ, कन्या भ्रूण हत्या जैसे ज्वलंत विषयों पर  व्याख्यानों के द्वारा जागृति फैलाने के कार्य में सक्रिय हैं । वे यहाँ के अंतरिम गाँवों में जाकर सफाई-स्वच्छता, साक्षरता, अंधविश्वास, व्यसन-मुक्ति जैसे कार्यक्रमों में लगातार शिरकत करती हैं  ।
     
 ▪️अंग्रेजी भाषा की प्रोफेसर मालिनी गौतम हिंदी की अनुरागी हैं । वे कविता के साथ-साथ ग़ज़ल, नवगीत, एवं अनुवाद विधाओं में भी कार्य करती हैं  । 

▪️ उनकी कविताएं, गजलें, नवगीत समकालीन भारतीय साहित्य,कथादेश, नया ज्ञानोदय, पाखी,वागर्थ, आजकल,अक्षरा, इंद्रप्रस्थ भारती, बया, सदानीरा, हंस, निकट, दोआबा, बहुवचन, पूर्वग्रह, साक्षात्कार, लोकमत समाचार, जनसत्ता, मंतव्य, युद्धरत आम आदमी सहित लगभग सभी महत्वपूर्ण  पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकीे हैं। 

▪️अभी तक मालिनी गौतम के दो कविता संग्रह बूँद-बूँद अहसास (गुजरात हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा अनुदानित), एक नदी जामुनी-सी प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अलावा एक ग़ज़ल संग्रह दर्द का कारवाँ, एक नवगीत संग्रह चिल्लर सरीखे दिन प्रकाशित हो चुका हैं। 

▪️मालिनी गौतम की कविताओं का गुजराती, अंग्रेजी, मराठी, मलियालम, उर्दू, नेपाली, पंजाबी, बांग्ला आदि भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है । 

▪️ मालिनी गौतम को दो बार गुजरात साहित्य अकादमी पुरस्कार (वर्ष 2016 एवं 2017) , परम्परा ऋतुराज सम्मान (दिल्ली, 2015) वागीश्वरी पुरस्कार (मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन भोपाल,2017) तथा जनकवि मुकुटबिहारी सरोज स्मृति सम्मान(सरोज स्मृति न्यास ग्वालियर, 2019)* से नवाजा जा चुका है ।

▪️मालिनी गौतम ने अनुवाद के क्षेत्र में भी काम किया है । हाल ही में उन्होंने गुजराती दलित कविताओं के हिन्दी अनुवाद  का एक महत्वपूर्ण कार्य पूर्ण किया है । 

▪️इन दिनों वे कहानियाँ भी लिख रही हैं । उनकी कहानियाँ पाखी, निकट, समावर्तन आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं ।

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