गुरुवार, 10 जून 2021

युवा नवगीतकार अवनीश चौहान जी के दस नवगीत प्रस्तुति : वागर्थ समूह

~ ।। वागर्थ ।।~ 

     प्रस्तुत करता है नवगीत  हेतु प्रतिबद्ध कवि अवनीश चौहान जी के नवगीत ।
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    प्राध्यापक  व साहित्यकार अवनीश चौहान  जी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं , नवगीत के उन्नयन हेतु अंतर्जाल पर अनेक पत्रिकाओं व ब्लॉग आदि के जरिए आप सतत क्रियाशील रहते हैं । आपके नवगीतोंं में कथ्य सशक्त व प्रभावशाली है ।  आप गाँव से जुड़े रहे हैं इसका सहज अनुमान नवगीतों में प्रयुक्त शब्दावली से लगाया जा सकता है , भुलभुल , माहुर       आदि देशज शब्दों का प्रयोग लोक जीवन से न सिर्फ़ उनके जुड़ाव का संकेत है बल्कि गीतों का प्राणतत्व भी । आपके गीतों में आशावाद व लयात्मकता की संलग्नता है ।  आपकी सहज कहन समाज में व्याप्त विसंगतियों व आम जन पर उनके प्रभाव  की प्रभावी अभिव्यक्ति आप के साहित्यिक कौशल की द्योतक है । 
     नवगीत पर केन्द्रित पूर्वाभास के सम्पादक अवनीश जी का नवगीत पर किया गया कार्य उल्लेखनीय व स्वागतयोग्य है ।

    नवगीत पर वह बात करते हुए वे कहते हैं  "  काव्य सौंदर्य का सम्यक मूल्यांकन करने वाले आचार्यों का मत है कि सार्थक कविता अपने आप में पूर्ण होती है; तथापि उसके भाव और रूप की सम्यक प्रस्तुति में 'कुछ न कुछ' छूट ही जाता है। यदि ऐसा है तो नवगीत सृजन के लिए 'फुल स्कोप' बना हुआ है। कोई भी साधक, जो नवगीत के उद्गम, स्वरूप, स्वभाव, प्रेरणा, प्रयोजन, सौंदर्य-चेतना, विकास-क्रम आदि से भलीभांति परिचित है और अपनी भाव-विचार संपदा को लोकमंगल के लिए लयबद्ध करना जानता है, सर्जना कर सकता है। उसकी यह सर्जना समकालीन कथ्य और शिल्प का आश्रय लेकर मनुष्य और मनुष्यता की जय-यात्रा को प्रतिष्ठित करने में सहायक ही होगी। 
    नवगीत क्या है, उसकी प्रेरणा कहाँ से आती है और उसके सृजन का उद्देश्य क्या है?, इस पर कई विद्वानों ने समय-समय पर अपने विचार दिए हैं। उन सब की यहाँ चर्चा करना न तो संभव है और न ही उपयुक्त। फिर भी यहाँ ख्यात आलोचक नामवर सिंह को याद करना चाहूँगा। वे कहते हैं— "आज के गीत जिसे हम नवगीत कहते हैं, आम आदमी के दुख-दर्द, तकलीफ, दैनिक समस्याओं, संघर्ष तथा आक्रोश की अभिव्यक्ति का माध्यम भी बना है।" आज के गीत को नवगीत कहना कितना सही है, आलोचक इस पर अपने विचार रखते रहे हैं, रखते रहेंगे भी। किंतु, इस टिप्पणी में 'आम आदमी' को केंद्र में रखकर जिस सर्जना की बात कही गई है, उसमें 'खास आदमी' को भी जगह देनी होगी। आम आदमी के दुख-दर्द, समस्या, संघर्ष का आकार-प्रकार खास आदमी के दुख-दर्द, समस्या, संघर्ष से भिन्न हो सकता है, किंतु यह कहना कि 'खास आदमी' सुखी है, आनंदित है और ज्ञानवर्धक है, समीचीन नहीं लगता। इसलिए यदि नवगीतकार की संवेदना गहन है, उसका 'ऑब्जरवेशन' सटीक है और उसका उद्देश्य पवित्र है, तो उसकी सर्जना में आम और खास के बीच कोई भेद नहीं होगा और तब उसका लेखन 'यूनिवर्सल' हो जाएगा। 
    एक सच्चा नवगीतकार यह सब जानता है और इसीलिए आज नवगीत जीवन के सतरंगी अनुभवों को उकेरने की एक सशक्त एवं प्रतिष्ठित विधा है। ऐसी विधा, जो न केवल मानव के सुख-दुख, हर्ष-विषाद को व्यंजित करती है, बल्कि उसकी संघर्ष-गाथा को भी सुमधुर स्वर देती है। कहीं देश-दुनिया की वर्तमान व्यवस्था और उसकी विसंगतियों के प्रति खीझ, आक्रोश, प्रतिरोध का स्वर, तो कहीं जीवन के उत्स की मोहक छवियाँ; कहीं प्रेम, प्रकृति, करुणा का भाव, तो कहीं सामाजिक, सांस्कृतिक जीवन-मूल्यों का जयघोष; कहीं सत्य की खोज, शिवम् की साधना एवं सौंदर्य की उपासना, तो कहीं 'तत् त्वम् असि' का उद्घोष— सब कुछ तो है आज के नवगीत में। किंतु इस सब को जानने-समझने के लिए भावक के पास सम्यक दृष्टि होनी चाहिए, जिससे रचनाकार के 'हृदय-पक्ष' एवं 'बुद्धि-पक्ष' के साथ 'हेतु-पक्ष' का सम्यक दर्शन हो सके और इस प्रकार स्वस्थ, सुखी एवं समृद्ध समाज के निर्माण का सपना साकार हो सके "।

           वागर्थ आपके महत्वपूर्ण साहित्यिक अवदान की सराहना करता है व हार्दिक बधाई प्रेषित करता है ।

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अवनीश सिंह चौहान के नवगीत 

(१) देवी धरती की 
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दूब देख लगता यह
सच्ची कामगार धरती की

मेड़ों को साध रही है
खेतों को बाँध रही है
कटी-फटी भू को अपनी-
ही जड़ से नाथ रही है

कोख हरी करती है
सूनी पड़ी हुई परती की

दबकर खुद तलवों से यह
तलवों को गुदगुदा रही
ग्रास दुधारू गैया का
परस रहा है दूध-दही

बीज बिना उगती है
देवी है देवी धरती की। 

(२)बदरा आए 
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धरती पर है धुंध, गगन में 
घिर-घिर बदरा आए

लगे इन्द्र की पूजा करने
नम्बर दो के जल से
पाप-बोध से भरी धरा पर 
बदरा क्योंकर बरसे

कृपा-वृष्टि हो बेकसूर पर 
हाँफ रहे चैपाए

हुए दिगम्बर पेड़ , परिन्दे-
हैं कोटर में दुबके
नंगे पाँव फँसा भुलभुल में
छोटा बच्चा सुबके

धुन कजरी की और सुहागिन का
टोना फल जाए

सूखा औ’ महँगाई दोनों
मिलते बाँध मुरैठे
दबे माल को बनिक निकाले
दुगना-तिगुना ऐंठे

डूबें जल में खेत, हरित हों
खुरपी काम कमाए। 

(३)पगडंडी 
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सब चलते चौड़े रस्ते पर 
पगडंडी पर कौन चलेगा?

पगडंडी जो मिल न सकी है
राजपथों से, शहरों से
जिसका भारत केवल-केवल
खेतों से औ' गाँवों से

इस अतुल्य भारत पर बोलो
सबसे पहले कौन मरेगा?

जहाँ केन्द्र से चलकर पैसा
लुट जाता है रस्ते में
और परिधि भगवान भरोसे
रहती ठण्डे बस्ते में

मारीचों का वध करने को
फिर वनवासी कौन बनेगा?

कार-क़ाफिला, हेलीकॉप्टर
सभी दिखावे का धंधा
दो बित्ते की पगडंडी पर
चलता गाँवों का बन्दा

कूटनीति का मुकुट त्यागकर
कंकड़-पथ को कौन वरेगा?

(४) देह बनी रोटी का ज़रिया 
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वक़्त बना जब उसका छलिया
देह बनी रोटी का ज़रिया

ठोंक-बजाकर देखा आखिर
जमा न कोई भी बंदा
'पेटइ' ख़ातिर सिर्फ़ बचा था
न्यूड मॉडलिंग का धंधा

व्यंग्य जगत का झेल करीना
पाल रही है अपनी बिटिया

चलने को चलना पड़ता है
तनहा चला नहीं जाता
एक अकेले पहिए को तो
गाड़ी कहा नहीं जाता

जब-जब नारी सरपट दौड़ी
बीच राह में टूटी बिछिया

मूढ़-तुला पर तुल जाते जब
अर्पण और समर्पण भी
विकट परिस्थिति में होता है
तभी आधुनिक जीवन भी

तट पर नाविक मुकर गया है
उफन-उफन कर बहती नदिया।

(५)पीते-पीते आज करीना
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पीते-पीते आज करीना
बात पते की बोल गई

यह तो सच है शब्द हमारे
होते हैं घर-अवदानी
घर जैसे कलरव बगिया में
मीठा नदिया का पानी

मृदु भाषा में एक अजनबी
का वह जिगर टटोल गई

प्यार-व्यार तो एक दिखावा
होटल के इस कमरे में
नज़र बचाकर मिलने में भी
मिलना कैद कैमरे में

पलटी जब भी हवा निगोड़ी
बन्द डायरी खोल गई

बिन मकसद के प्रेम-जिन्दगी
कितनी है झूठी-सच्ची
आकर्षण में छुपा विकर्षण
बता रही अमिया कच्ची

जीवन की शुरुआत वासना?
समझो माहुर घोल गई ।

(६)कोरोना का डर है लेकिन
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कोरोना का डर है लेकिन
डर-सी कोई बात नहीं

धूल, धुआँ, आँधी, कोलाहल
ये काले-काले बादल
जूझ रहे जो बड़े साहसी
युगों-युगों का लेकर बल

इस विपदा का प्रश्न कठिन, हल
अब तक कुछ भी ज्ञात नहीं

लोग घरों से निकल रहे हैं
सड़कों पर, फुटपाथों पर
एक भरोसा खुद पर दूजा 
मालिक तेरे हाथों पर

जीत न पाए हों वे अब तक 
ऐसी कोई मात नहीं 

कई तनावों से गुजरे वे 
लहरों से भी टकराए
तोड़ दिया है चट्टानों को
शिखरों को छूकर आए

सूरज निकलेगा पूरब में
होगी फिर से प्रात वही।

(७)विज्ञापन की चकाचौंध 
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सुनो ध्यान से कहता कोई
विज्ञापन के पर्चों से

हम जिसका निर्माण करेंगे
तेरी वही ज़रूरत होगी
जस-जस सुरसा बदनु बढ़ावा
तस-तस कपि की मूरत होगी

भस उड़ती हो, आँख भरी हो
लेकिन डर मत मिर्चों से

हमें न मंहगाई की चिंता
नहीं कि तुम हो भूखे-प्यासे
तुमको मतलब है चीजों से
मतलब हमको है पैसा से

पूरी तुम बाज़ार उठा लो
उबर न पाओ खर्चों से

बेटा, बेटी औ' पत्नी की
माँगों की आपूर्ति करोगे
चकाचौंध से विज्ञापन की
तुम सब आपस में झगड़ोगे

कार पड़ोसी के घर आई
बच न सकोगे चर्चों से। 

(८) श्रम की मण्डी 
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बिना काम के ढीला कालू
मुट्ठी- झरती बालू

तीन दिनों से 
आटा गीला
हुआ भूख से 
बच्चा पीला

जो भी देखे, घूरे ऐसे
ज्यों शिकार को भालू

श्रम की मंडी
खड़ा कमेसुर
बहुत जल्द
बिकने को आतुर

भाव मजूरी का गिरते ही
पास आ गए लालू

बीन कमेसुर
रहा लकड़ियाँ
बाट जोहती
होगी मइया

भूने जाएँगे अलाव में 
नई फसल के आलू। 

(९)चिंताओं का बोझ-ज़िंदगी
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सत्ता पर क़ाबिज़ होने को
कट-मर जाते दल
आज सियासत सौदेबाजी
जनता में हलचल

हवा चुनावी आश्वासन के
लड्डू दिखलाए
खलनायक भी नायक बनकर 
संसद पर छाए

कैसे झूठ खुले, अँजुरी में-
भरते गंगा-जल

लाद दिए पिछले वादों पर
और नये कुछ वादे
चिंताओं का बोझ-ज़िंदगी
कोई कब तक लादे

जिए-मरे, ये काम न आए,
बेमतलब, बेहल

वही चुनावी मुद्दा लेकर
वे फिर घर आए
मन को छूते बदलावों के
सपने दिखलाए

हैं प्रपंच, ये पंच स्वयं के,
कैसे-कैसे छल। 

(१०) रेल- ज़िंदगी
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एक ट्रैक पर
रेल ज़िंदगी 
कब तक?
कितना सफ़र सुहाना

धक्का-मुक्की
भीड़-भड़क्का
बात-बात पर
चौका-छक्का

चोट किसी को
लेकिन किसकी
ख़त्म कहानी
किसने जाना

एक आदमी
दस मन अंडी
लदी हुई है
पूरी मंडी

किसे पता है
कहाँ लिखा है
किसके खाते 
आबोदाना

बिना टिकट
छुन्ना को पकड़े
रौब झाड़ कर
टी.टी. अकड़े

कितना लूटा 
और खसोटा
'सब चलता'
कह रहा ज़माना। 

(११) सर्वोत्तम उद्योग 
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छार-छार हो पर्वत दुख का
ऐसा बने सुयोग

गलाकाट इस ‘कंप्टीशन’ में 
मुश्किल सर्वप्रथम आ जाना
शिखर पा गए किसी तरह तो
मुश्किल है उस पर टिक पाना

सफल हुए हैं इस युग में जो
ऊँचा उनका योग

बड़ी-बड़ी ‘गाला’ महफिल में
कितनी हों भोगों की बातें
और कहीं टपरे के नीचे
सिकुड़ी हैं मन मारे आँतें

कोई हाथ साधता चाकू
कोई साधे जोग

भइया मेरा बता रहा था
कोचिंग भी है कला अनूठी
नाउम्मीदी की धरती पर
उगती है कॅरिअर की बूटी

सफल बनाने का असफल को
सर्वोत्तम उद्योग।

               ~ अवनीश सिंह चौहान 
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डॉ अवनीश सिंह चौहान : परिचय 

जन्म तिथि: ४ जून, १९७९

पिता का नाम: श्री प्रहलाद सिंह चौहान

माताका नाम: श्रीमती उमा चौहान

शिक्षा: अंग्रेज़ी में एम०ए०, एम०फिल० एवं पीएच०डी० और बी०एड०

प्रकाशन: दैनिक जागरण, पत्रिका (राजस्थान पत्रिका), नई दुनिया, कल्पतरु एक्सप्रेस, राष्ट्रीय सहारा, दैनिक भाष्कर, डेली न्यूज़, जन सन्देश टाइम्स, अमर उजाला, पंजाब केसरी, अमृत विचार, डीएलए, विधान केसरी, देशधर्म, उत्तर केसरी, प्रेस-मेन, नये-पुराने, सिटीज़न पावर, वीणा, अक्षर शिल्पी, सार्थक, उत्तर प्रदेश, कविकुंभ, गीत गागर, सद्भावना दर्पण, उत्तरायण, प्राची, वसुधा, साहित्य समीर दस्तक, शिवम पूर्णा, साहित्य समय, अभिनव प्रसंगवश, सोच विचार, गोलकोण्डा दर्पण, गर्भनाल, संकल्प रथ, नव निकष, परती पलार, संवदिया, साहित्यायन, युग हलचल, यदि, नये पाठक, अनंतिम, गुफ़्तगू, गतिमान, अग्रमान, नूतन कहानियाँ, सजल नागरी, परमार्थ, कविता कोश, हिंदी समय, हिंदी मीडिया, सृजनगाथा, अनुभूति, अभिव्यक्ति, रचनाकार, गीत-पहल, साहित्य कुंज, ख़बर इण्डिया, प्रतिलिपि, अपनी माटी, जय विजय, हस्ताक्षर, नवगीत विकि, संग्रह और संकलन, आँच, डिजिटल इण्डिया, कारवाँ, प्रभा साक्षी, भड़ास4मीडिया, ट्रू मीडिया, रैनबो न्यूज, एम्स्टलगंगा, अविराम साहित्य, स्वर्गविभा, साहित्य मुरादाबाद, कुछ पोयटिक, सृजन आस्ट्रेलिया, बुक्स इन वॉइस, नव्या, युग मानस, क्रिएशन एण्ड क्रिटिसिज्म, आईजेएचईआर, रि-मार्किंग्स, साइबर लिट्रेचर, इम्प्रेशन्स, रिसर्चर, इंडियन रूमीनेशन, रिसर्च स्कॉलर, लेब्रिन्थ, इंडियारी, शोध संचयन, पोयमहण्टर, पोएटफ्रीक, पोयम्सएबाउट, पोइट्स इण्डिया आदि हिन्दी व अंग्रेजी की ऑफलाइन और ऑनलाइन पत्र-पत्रिकाओं में नवगीत, हाइकु, कविताएँ,  आलेख, समीक्षाएँ, साक्षात्कार, संस्मरण, पत्र, कहानियाँ आदि प्रकाशित। 

समवेत संकलनों/ विशेषांकों में सहभागिता : 

A. नवगीतों का संकलन 
1. साप्ताहिक पत्र ‘प्रेस मेन’, भोपाल, म०प्र० के ‘युवा गीतकार अंक’ (साहित्य सं.— मयंक श्रीवास्तव एवं समीर श्रीवास्तव, 30 मई, 2009, पृ. 11)
2. ‘मुरादाबाद जनपद के प्रतिनिधि रचनाकार’ (सं.— डॉ. ऋजु पंवार तथा डॉ संज्ञा गोयल, 2010, पृ. 16-35)
3. 'भ्रष्टाचार के विरुद्ध' (सं.— डॉ. महेश दिवाकर एवं डॉ मीना कॉल, 2012, पृ. 12-15)
4. 'शब्दायन : दृष्टिकोण एवं प्रतिनिधि' (सं.- निर्मल शुक्ल, 2012)
5. 'किरनों की किरचियाँ' (सं.- निर्मल शुक्ल, 2013)
6. 'नवगीत-2013' (सं.- डॉ जगदीश व्योम एवं पूर्णिमा वर्मन, 2013, पृ. 20)
7. 'त्रिसुगन्धि' (सं.— आशा पाण्डे ओझा, 2013)
8. 'सरस्वती सुमन' पत्रिका का 'गीत विशेषांक' (सं.— डॉ धनञ्जय सिंह, 2013)
9. 'गीत वसुधा' (सं.— नचिकेता, 2013)
10. 'संस्कृति के कमल' (सं.— डॉ. महेश दिवाकर एवं बद्रीनारायण सिंह, 2014)
11. 'नवगीत‌ का लोकधर्मी सौन्दर्य बोध' (सं.— राधेश्याम बंधु, 2016)
12. 'सहयात्री समय के' (सं.— डॉ रणजीत पटेल, 2016, पृ. 687-694)
13. 'समकालीन गीत कोश' (सं.— नचिकेता, 2017)
14. 'संवदिया : नवगीत विशेषांक' (अतिथि सं.— जगदीश पंकज, जनवरी-मार्च 2018)
15. 'नयी सदी के नवगीत- खण्ड- 5' (सं.— डॉ ओमप्रकाश सिंह, 2018)
16. 'गीत प्रसंग' (सं.— सौरभ पाण्डेय, 2018, पृ. 19-22)
17. 'गुनगुनाएं गीत फिर से' (सं.— राहुल शिवाय, 2018)
18. ​'नयी सदी के नये गीत' (सं.— राहुल शिवाय, 2019)
19. 'होली विशेषांक' (प्रभात खबर, पटना, 2109)​
20. 'नवगीत का मानवतावाद' (सं.— राधेश्याम बंधु, 2020) ​

B. कविताओं का संकलन 
1. अंग्रेजी कविता संग्रह— 'ए स्ट्रिंग ऑफ़ वर्ड्स' (सं.— मेरी शाइन,2010) (A String of Words, ed. Mary Shine, 2010, Pp. 53-63)
2. अंग्रेजी कवियों का संकलन— "एक्जाइल्ड अमंग नेटिव्स" (सं.— डॉ चारुशील एवं डॉ बिनोद मिश्रा, 2013) (Exiled Among Natives, eds. Dr Charusheel Singh & Binod Mishra, 2013) 

C. नवगीतों पर विमर्श 
1. रामकिशोर दाहिया के सौजन्य से व्हाट्सएप्प पर अवनीश सिंह चौहान के नवगीतों पर विमर्श (रविवार, 03 मार्च 2016) 

प्रकाशित कृतियाँ: 
1. स्वामी विवेकानन्द: सिलेक्ट स्पीचेज, 2004 & 2012
2. किंग लियर: ए क्रिटिकल स्टडी, 2005 & 2016
3. स्पीचेज आफ स्वामी विवेकानन्द एण्ड सुभाषचन्द्र बोस: ए कॅम्परेटिव स्टडी, 2006
4. फंक्शनल स्किल्स इन लैंग्वेज एण्ड लिट्रेचर, 2007
5. फंक्शनल इंगलिश, 2012
6. राइटिंग स्किल्स, 2012
7. टुकड़ा कागज़ का (नवगीत संग्रह, 2013 & 2014)
8. बर्न्स विदिन (श्री ब्रजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' की हिन्दी कविताओं का अंग्रेजी में अनुवाद), 2015
9. द फिक्शनल वर्ल्ड ऑफ़ अरुण जोशी : पैराडाइम शिफ्ट इन वैल्यूज, 2016

संपादित पुस्तकें:
1. बुद्धिनाथ मिश्र की रचनाधर्मिता (सं), 2013 : AMAZONE

सह-संपादक 
1. ब्रजभूषण सिंह गौतम ‘अनुराग’ अभिनंदन ग्रंथ  (प्रकाशक— अखिल भारतीय साहित्य कला मंच, मिलन विहार, मुरादाबाद, उ.प्र., प्रकाशन वर्ष- 2009, मूल्य- साहित्य सेवा, पृ. 718) 
2. इंडियन पोएट्री इन इंग्लिश- पेट्रिकोर: ए क्रिटीक ऑफ़ सीएल खत्री'ज़ पोएट्री, 2020

अनुवाद: 
1. अंग्रेजी के महान नाटककार विलियम शेक्सपियर द्वारा विरचित दुखान्त नाटक ‘किंग लियर’ का हिन्दी भावानुवाद भवदीय प्रकाशन, अयोध्या से प्रकाशित। 
2. वरिष्ठ साहित्यकार श्री ब्रजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' की पुस्तक 'बर्न्स विदिन' : 'Burns Within' (हिन्दी कविताओं का अंग्रेजी में अनुवाद)। 
3. आस्ट्रेलियाई कवि पैडी मार्टिन की अंग्रेजी कविताओं का हिंदी में अनुवाद 

भूमिका लेखन 
1. 'कॉफी मंथन' (व्यंग-संग्रह, लेखक- विभावसु तिवारी, 2014)
2. 'केसरिया सूरज' (कविता संग्रह, कवि- विभावसु तिवारी, 2015)
3. 'अमिट लकीरें' (संस्मरण, लेखक- विभावसु तिवारी, 2016)
4. 'अभी समय है' (गीत-नवगीत संग्रह, कवि- प्रमोद प्रखर, 2016)
5. 'धुएँ की टहनियाँ' (नवगीत संग्रह, कवि- रामानुज त्रिपाठी, 2017)
6. 'आग लगी है' (गीत-नवगीत संग्रह, कवि- संतोष कुमार सिंह, 2018)
7. 'कुण्डलिया सुमन' (कुण्डलिया संग्रह, कवि- इंद्रेश भदौरिया, 2019)
8. 'जोर लगाके हइया' (नवगीत संग्रह, कवि- रामनारायण रमण, 2021) 

अप्रकाशित कृतियाँ: गीत, ग़ज़ल, कविता और कहानी से संदर्भित समीक्षकीय आलेखों का एक संग्रह आदि।

संपादन: 
1. प्रख्यात गीतकार, आलोचक, संपादक दिनेश सिंह (रायबरेली, उ०प्र०) की चर्चित एवं स्थापित कविता-पत्रिका ‘नये-पुराने’ (अनियतकालिक) के कार्यकारी संपादक पद पर अवैतनिक कार्य किया। प्रबुद्ध गीतकार डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र (देहरादून) की रचनाधर्मिता पर आधारित उक्त पत्रिका का  ई-अंक खबर इण्डिया और रचनाकार पर प्रकाशित। 
2. वेब पत्रिका— ‘गीत-पहल’ (www.geetpahal.webs.com), 'पूर्वाभास' (www.poorvabhas.in) एवं भक्तकोश (https://bhaktkosh.fandom.com/hi/wiki/) के सम्पादक।
3. 5 मई 2013 से 30 दिसंबर 2013 तक दैनिक समाचार पत्र 'विधान केसरी' (www.vidhankesari.com) के साहित्यिक परिशिष्ट 'शब्द संसार' (सोमवार, पृष्ठ 10) का संपादन।
4. अंग्रेजी शोध पत्रिका क्रिएशन एन्ड क्रिटिसिज़्म (www.creationandcriticism.com) के संपादक
5. शोध पत्रिका 'इंटरनेशनल जर्नल ऑफ हायर एडुकेशन एंड रिसर्च' (www.ijher.com) के संपादक

सदस्य / जज / वक्ता आदि :
1. अहमदाबाद इंटरनेशनल लिट्रेचर फेस्टिवल (12-13 नवम्बर 2016) में आमंत्रित वक्ता (हिंदी और अंग्रेजी) के रूप में प्रतिभाग। 
2. रविवार, 15 अक्टूबर 2017, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव— 'Rendezvous 2017' के अन्तर्गत 'हिन्दी समिति' और 'मातृभाषा परिवार' के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 'युवा काव्य प्रतियोगिता' में बतौर जज एवं वक्ता प्रतिभाग किया। 
3. रांची के खेलगांव स्थित टाना भगत स्टेडियम में 27 से 30 सितंबर 2018 तक आयोजित 'लोकमन्थन 2018' (देश, काल, स्थिति) कार्यक्रम में आमंत्रित साहित्यकार के रूप में प्रतिभाग 
4. हरियाणा साहित्य अकादमी, हरियाणा सरकार द्वारा साहित्यिक पुरस्कारों के लिए पुस्तक मूल्यांकन हेतु गठित निर्णायक मंडल के सदस्य, 2019
5. 17-18 अगस्त 2020 को मुन्नालाल एण्ड जयनारायण खेमका गर्ल्स कॉलेज में अंग्रेजी विभाग द्वारा द्विदिवसीय ऑनलाइन रचनात्मक लेखन कार्यशाला— 'Artefacts of Words' (द्विभाषी) में आमंत्रित वक्ता के रूप में प्रतिभाग।

संयोजक :

1. पूर्णिमा वर्मन द्वारा लखनऊ में आयोजित "नवगीत महोत्सव" के संयोजक (अवनीश सिंह चौहान एवं डॉ जगदीश व्योम) एवं मीडिया प्रभारी के रूप में प्रारंभिक सात वर्ष (2011-2017) तक सफलतापूर्वक कार्य किया। 
2. तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के यूनिवर्सिटी पॉलीटेक्निक में स्वरचित कविता प्रतियोगिता के संयोजक। पार्ट- 1 लिंक : पार्ट - 2 लिंक
3. फरवरी 7, 2019 को बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी— "जीवन मूल्य : साहित्य और समाज" के संयोजक के रूप में कार्य किया।  
4. 2020 में बाबा संजीव आकांक्षी के नेतृत्व में "कला भारती इंटरनेशनल" के ऑफिसियल फेसबुक पेज पर देश के प्रतिष्ठित कवियों को प्रतिदिन शाम 5 से 6 बजे तक सुना गया, जिसमें संयोजक के रूप में लगभग 120 प्रतिष्ठित कवियों को आमंत्रित कर काव्यपाठ कराने में सहयोग। 

विशेष संपादन : 
1. भोपाल से प्रकाशित मासिक पत्रिका— 'साहित्य समीर दस्तक' का 'माँ' पर केंद्रित विशेषांक (फरवरी, 2014) के अतिथि सम्पादक रहे।
2. एसआरएम विश्वविद्यालय (दिल्ली-एनसीआर, सोनीपत, हरियाणा) द्वारा प्रकाशित न्यूज़ लैटर— REFLECTION के संस्थापक संपादक।
3. बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय (दिल्ली-एनसीआर, रोहतक, हरियाणा) द्वारा प्रकाशित 'मस्तनाथ वाणी' मासिक पत्रिका को नया कलेवर देकर उसमें लगभग एक वर्ष तक (जुलाई 2018 से जून 2019 तक) संपादन सहयोग। 

विशेष : 
1. बरेली, मुरादाबाद, लखनऊ, कुमाऊँ से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र— "अमृत विचार" की सन्डे मैग्जीन— "लोक दर्पण" के साहित्यिक परिशिष्ट— "शब्द संसार" में एक कॉलम साहित्यकारों के लिए निर्धारित है, जिसमें पिछले दिनों (मार्च 2020 से मई 2021 तक) मेरे आधा दर्जन से अधिक साहित्यिक लेख एवं कीर्तिशेष आ. किशन सरोज, दिनेश सिंह, देवेंद्र शर्मा इन्द्र, पैडी मार्टिन एवं डॉ शिवबहादुर सिंह भदौरिया सहित सर्वश्री अनिल जनविजय, अवनीश त्रिपाठी, इन्द्रेश भदौरिया, कुमार मुकुल, गुलाब सिंह, पूर्णिमा वर्मन, प्रमोद प्रखर, बुद्धिनाथ मिश्र, मयंक श्रीवास्तव, योगेंद्र प्रताप मौर्य, रघुवीर शर्मा, रमाकांत, रमेश गौतम, रवि खंडेलवाल, राजेंद्र मोहन शर्मा 'श्रृंग', रामनारायण रमण, विनय भदौरिया, वीरेन्द्र आस्तिक, शचीन्द्र भटनागर, सुधीर कुमार अरोड़ा, संतोष कुमार सिंह आदि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आलेख एवं अन्य सामग्री प्रकाशित। 

सन्दर्भ ग्रंथों में परिचय :
1. 'उत्तर प्रदेश के हिंदी साहित्यकार: सन्दर्भ कोश' (सं.—  डॉ. महेश दिवाकर, 2011)
2. 'नवगीत कोश' (सं.— डॉ रामसनेही लाल शर्मा 'यायावर', 2020)

सम्मान/ पुरस्कार :
1. 'ब्रजेश शुक्ल स्मृति साहित्य साधक सम्मान', अखिल भारतीय साहित्य कला मंच, मुरादाबाद, उ.प्र., 2009
2. 'हिंदी साहित्य मर्मज्ञ सम्मान', मुरादाबाद, उ.प्र., 2010
3. 'प्रथम पुरुष सम्मान', उत्तरायण, लखनऊ , उ.प्र., 2010
4. 'प्रथम कविता कोश सम्मान' (कविता कोश सम्मान 2011 चयन समिति- सम्पादक: अनिल जनविजय मास्को, रूस; श्री लीलाधर मंडलोई,वरिष्ठ कवि; श्री प्रेमचन्द गांधी, राजस्थान प्रतिनिधि कविता कोश),  जयपुर, राजस्थान, 2011
5. 'बुक ऑफ़ द ईयर अवार्ड- 2011', द थिंक क्लब (www.thethinkclub.com), मिशीगन, अमेरिका, 2012
6. 'सृजनात्मक साहित्य पुरस्कार', राजस्थान पत्रिका, जयपुर, राजस्थान, 2013
7. 'दिवालोक पुरस्कार' (ख्यातिलब्ध नवगीतकार स्व डॉ शम्भुनाथ सिंह की स्मृति में), श्री सत्य कॉलेज ऑफ हायर एजूकेशन, मुरादाबाद, उ.प्र. 29 मार्च 2014
8. 'नवांकुर पुरस्कार', अभिव्यक्ति विश्वम् (अभिव्यक्ति एवं अनुभूति वेब पत्रिकाएँ), शारजाह, यूएई, 2014
9. 'हरिवंशराय बच्चन युवा गीतकार सम्मान', उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ, 2014
10. 'साहित्य गौरव सम्मान', एसआरएम विश्वविद्यालय, सोनीपत, हरियाणा, 2015 (हिन्दी दिवस पर)
11. 'शकुंतला प्रकाश गुप्ता साहित्य विभूति सम्मान', मानसरोवर फाउंडेशन, मुरादाबाद, उ.प्र., 2016 
12. 'दिनेश सिंह स्मृति सम्मान' (डॉ शिव बहादुर सिंह भदौरिया जयंती सम्मान समारोह में), काव्यालोक, लालगंज-रायबरेली, उ. प्र., 2018 
13. 'बाबूसिंह स्मृति साहित्यरत्न सम्मान', आलोक स्मृति साहित्यकार सम्मान समारोह, मथुरा, उ.प्र., 2019

संप्रति: आचार्य एवं प्राचार्य, मानविकी एवं जनसंपर्क महाविद्यालय, बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, बरेली, उ.प्र.

मोबा० व ई-मेल: 09456011560, abnishsinghchauhan@gmail.com

1 टिप्पणी:

  1. अरे वाह ! कमाल है। शानदार, लाजवाब ! रंग जमा दिया अवनीश चौहान ने। क्या महफ़िल जमाई है ! अब तो बूढ़े हो गए, अब कहाँ युवा रहे?

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