मंगलवार, 15 जून 2021

युवतम कवि अनुज पाण्डेय के पाँच नवगीत : प्रस्तुति वागर्थ समूह

वागर्थ की बाल फुलवारी में प्रस्तुत है एक और सुगन्धित पुष्प
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                                       युवतम कवि अनुज पाण्डेय ग्राम पड़ौली, पोस्ट ककरही, जिला गोरखपुर, उत्तरप्रदेश से आता है। इन दिनों अनुज  खूब चर्चा में है। हाल ही में श्वेतवर्णा प्रकाशन से श्री मनोज जी के सम्पादन में आई 'बचपन की फुलवारी' नामक पुस्तक में भी अनुज पाण्डेय के तीन बाल गीत शामिल किए गये हैं। अनुज का रुझान छान्दसिक कविताओं में हैं वह नवगीत भी बड़े चाव से लिखता है और पत्र पत्रिकाओं में खूब छप भी रहा है।
           सोशल मीडिया पर सक्रिय उपस्थिति भी अनुज पाण्डेय के यहाँ देखी जा सकती है।
आइए पढ़ते हैं और सराहते हैं वागर्थ की बाल फुलवारी के एक और सुगन्धित पुष्प की सुगंध को
   अनुज पाण्डेय के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाओं सहित

प्रस्तुति
वागर्थ
सम्पादक मण्डल
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  1

     चैन का एकैक पुरजा

रोटियों की
फ़िक्र में
मन रह रहा है
मुफ़लिसी की
आग में
तन दह रहा है।

भीड़ चिंता की
हमें है घेर लेती
ज़िन्दगी सौ शूल
औ' इक बेर देती

रोज दुःख
लंबी कहानी
कह रहा है।

मर ग‌ईं अतिरिक्त इच्छाएँ
हृदय की
बंद फाटक-खिड़कियाँ
अच्छे समय की

चैन का
एकैक पुरजा
ढह रहा है।
          2      
             अनजान ककहरा

हिरणों की रक्षा में
अब
सिंहों का पहरा है।

बिल्ली अब करती है
चूहों की रखवाली
सिर्फ़ कँटीले पेड़ों की
सेवा में माली

आज भेड़ियों खातिर
अवसर
बड़ा सुनहरा है।

सत्य झूठ का हो जाना
सबसे सीधा है
हृदय काल का,
सच्चाई पर ही रीझा है

सज्जनता का ज्ञान
यहाँ 
अनजान ककहरा है।
                   
3
                अपनेपन का गीत

अपनेपन का
गीत सुनाने वाली चिड़िया
कब बोलेगी? 

सूख रहे मनमोहक उपवन
हर दिन छोटे होते आँगन 
होली की खाली पिचकारी
सिसक-सिसक करती है क्रंदन

रंग नेह के,
अपने तन-मन में यह दुनिया
कब घोलेगी? 

मिथकों का पलड़ा भारी है
हर कोने में बम-बारी है
वैर चाहिए था जिन-जिन में
उनमें अब गहरी यारी है

निस्पंद पड़ी
नेकी औ' खुशियों की धरती
कब डोलेगी? 

     4               

               भले नहीं उपवन हो

काग़ज़ का टुकड़ा भले न हो
आशा जैसा धन हो।

योद्धा, योद्धा क्यों कहलाए
साहस से वह अगर हीन हो
इक छोटी-सी त्रास-जाल में
कंपन करती बड़ी मीन हो

आपद यदि हो, ईश्वर-रूपी
साहस का अर्चन हो।

आशहीनता से जो हारा,
हार गया वह अपना जीवन
सबने पाया पुलकित तन-मन
उसने पाया केवल सिहरन

हाथों में बस एक बीज हो
भले नहीं उपवन हो।

हो ऐसी उच्चता तुम्हारी
बौना हो जाए वह अंबर
घाव करो पत्थर पर ऐसा
करता है जैसा, इक निर्झर

अंधकार में मोती-सा 
उज्ज्वल तेरा आनन हो।
               
5
              आशाओं में रखना बल

तुम तनिक न होना विह्वल।

पतझड़ कब तक
रह पाएगा?
झर-झर करके
झड़ जाएगा

माधव का फ़िर,होगा कल।

घन बरस-बरस 
छँट जाएँगे 
उजियारे
फ़िर मुस्काएँगे 

आशाओं में रखना बल।

सूखेंगे दुख के
दलदल सब
साहस की धूप
खिलेगी जब

धीरज की डगर चला चल।
तुम तनिक न होना विह्वल।
            - अनुज पाण्डेय

परिचय
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नाम - अनुज पाण्डेय
पिता - श्री देव नारायण पाण्डेय
माता - श्रीमती शीला देवी
पिता एक साधारण किसान और माता एक दर्जी हैं।
गोरखपुर ( मुख्य शहर) से लगभग ४७ कि.मी. दूर पड़ौली नामक गाँव में जन्म और निवास ...
जन्म तिथि - १८ अक्टूबर,२००७ 
काव्य लेखन की शुरुआत - अगस्त,२०१९ से
मुख्य विधाएँ -  गीत, ग़ज़ल,दोहा, छंदमुक्त कविता..
बाल काव्य एवं बाल कथा लेखन में भी सक्रिय ...
फ़िलहाल नौवीं कक्षा में अध्ययनरत।
निकट,वीणा, अभिनव प्रयास,बचपन की फुलवारी आदि पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित ... 
स्थाई पता - ग्रा.पड़ौली ,पो.- ककरही
            ‌             ज़िला गोरखपुर ( उ.प्र.)- २७३४०८
    मो. ८७०७०६५१५५

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